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गुरुवार, 4 जुलाई 2019

Hindi Christian Skit | ख़ुशफ़हमी | Do You Know the Criteria for Entering the Kingdom of Heaven?

Hindi Christian Skit | ख़ुशफ़हमी | Do You Know the Criteria for Entering the Kingdom of Heaven?


ली मिंगदाओ एक गृह-कलीसिया में प्रचारक है। वह बरसों से प्रभु में विश्वास रखता आ रहा है, और उसने हमेशा पौलुस की मिसाल का अनुसरण करते हुए प्रचार और कार्य किया है, कष्ट उठाए हैं और कीमत अदा की है। उसका मानना है, "अगर कोई मेहनत और कार्य करता है तो वह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकता है, पुरस्कृत हो सकता है और मुकुट हासिल कर सकता है।" लेकिन अपने सहकर्मियों से मिलने पर, भाई झांग इस नज़रिये पर संदेह व्यक्त करता है। ली मिंगदाओ आश्वस्त नहीं होता और घर लौट आता है, और बाइबल को अच्छी तरह देख लेने के बाद, वह भाई झांग से गर्मागर्म बहस करता है... क्या प्रभु के लिये मेहनत और कार्य करना परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना है?

शुक्रवार, 14 जून 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तीन चेतावनियाँ" | The Warning of God to Man (Hindi)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तीन चेतावनियाँ" | The Warning of God to Man (Hindi)


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर में विश्वासी के रूप में, तुम लोगों को सभी बातों में
परमेश्वर के अलावा और किसी के प्रति वफादार नहीं होना चाहिए और सभी बातों में उसकी इच्छा के अनुरूप होने में समर्थ होना चाहिए। तथापि, यद्यपि हर कोई इस सिद्धांत को समझता है, फिर भी ये सच्चाइयाँ जो अत्यधिक स्पष्ट और बुनियादी हैं, जहाँ तक मनुष्य का संबंध है, उसकी अज्ञानता, बेहूदगी, और भ्रष्टता जैसी नानाविध मनोव्यथाओं के कारण उसमें पूरी तरह से नहीं देखी जा सकती है। इसलिए, तुम लोगों का अंत निर्धारित करने से पहले, मुझे सबसे पहले तुम लोगों को कुछ चीज़ें बतानी चाहिए, जो तुम लोगों के लिए अत्यधिक महत्व की हैं। ......

बुधवार, 5 जून 2019

2019 Best Hindi Christian Song | स्वभाव में बदलाव पवित्र आत्मा के काम से अलग नहीं हो सकता


Hindi Christian Song Download | स्वभाव में बदलाव पवित्र आत्मा के काम से अलग नहीं हो सकता


पवित्र आत्मा का कार्य और मौजूदगी तय करता है कि तुम खोजते हो निष्ठा से, न कि दूसरों का न्याय तुम पर और न ही उनकी राय से। पर इससे ज़्यादा, क्या पवित्र आत्मा का कार्य समय के साथ तुम्हें बदलकर, परमेश्वर का ज्ञान कराता है, तुम्हारी ईमानदारी को तय करता है। पवित्र आत्मा के कार्य के साथ, तुम सबका स्वभाव बदलेगा, तुम सबकी आस्था पर राय शुद्ध होंगी। परिवर्तन का अर्थ है कि पवित्र आत्मा कार्य पर है, चाहे कितनी भी देर से तुम सबने उसका अनुसरण किया हो। गर तुम सब में बदलाव नहीं है, तो ये दर्शाता है कि पवित्रात्मा तुम सब पर कार्य नहीं करता है।

रविवार, 2 जून 2019

Hindi Christian Song | परमेश्वर ख़ामोशी से प्रबंध करता है हर एक का | The Grace of God Is Great


Hindi Christian Song Download | परमेश्वर ख़ामोशी से प्रबंध करता है हर एक का | The Grace of God Is Great


परमेश्वर हर जगह, हर वक्त, हर इंसान की ज़रूरत पूरी करता है। किस तरह लोगों के ख़्याल, और दिल बदलते हैं, वह नज़र रखता है। उन्हें दिलासा देता है, जोश भरता है और राह दिखलाता है। जो उसे चाहता है, उसका अनुसरण करता है, परमेश्वर कोई कसर नहीं रखता, वो अपनी दुआएं बरसाता है। उन सभी को अनुग्रह देता है, उसकी दया का प्रवाह व्यापक है। वो जो है, जो उसके पास है, दिल खोलकर लुटाता है। इंसान जबकि उसके ख़्यालों को अनदेखा करता है, परमेश्वर फिर भी उसे रोशनी दिखाता है, पोषण देता है, मदद करता है, वो चाहता है लोग उसकी राह पर चलें, ताकि उन्हें परमेश्वर के हाथों से, ख़ूबसूरत नियोजित मुकद्दर मिल सके।

मंगलवार, 21 मई 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुझे अपने भविष्य मिशन से कैसे निपटना चाहिए"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "तुझे अपने भविष्य मिशन से कैसे निपटना चाहिए"



सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "क्या तूने कभी सोचा है कि परमेश्वर का हृदय कितना व्याकुल और चिंतित है? जिसे उसने अपने हाथों से रचा उस निर्दोष मानव जाति को ऐसी पीड़ा में दुख उठाते हुए देखकर वह कैसे सह सकता है? वैसे भी मानव जाति तो वह दुर्भाग्यशाली है जिस पर विष प्रयोग किया गया है। यद्यपि वे आज के दिन तक जीवित हैं, कौन यह सोच सकता था कि उन्हें लंबे समय से उस दुष्टात्मा द्वारा विष दिया गया है? क्या तू भूल चुका है कि तू शिकार हुए लोगों मे से एक है? परमेश्वर के लिए अपने प्रेम के खातिर, क्या तू उन्हें बचाने को इच्छुक नहीं है जो जीवित बच गए हैं?

गुरुवार, 16 मई 2019

जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं





  • जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं
  •  
  • I
  • सत्य और जीवन के वचनों को सुनते हुए,
  • शायद तुम सोचो कि इन हजारों वचनों में से,
  • बाइबल और तुम्हारे विचारों से,
  • बस एक ही वचन मेल खाता है,
  • इस दस हजारवें वचन में खोजते रहो।
  • परमेश्वर सलाह देता है,
  • विनम्र बनो, न बनो अति-आत्मविश्वासी
  • स्वयं को ऊँचा न उठाओ।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • II
  • परमेश्वर के प्रति ऐसी थोड़ी सी श्रद्धा रख कर भी,
  • तुम पाओगे रोशनी बड़ी, रोशनी बड़ी।
  • जो इन वचनों पर मनन करोगे,
  • तुम देख पाओगे कि ये सत्य और जीवन हैं या नहीं।
  • अंत के दिनों में झूठे मसीहाओं के कारण
  • कहीं भटक न जाओ इस डर से,
  • पवित्रात्मा की ईशनिंदा न करो।
  • III
  • बहुत खोजने और जाँचने के बाद भी,
  • अगर लगता है तुम्हें अभी भी
  • कि ये वचन परमेश्वर की अभिव्यक्ति,
  • या सत्य और जीवन नहीं,
  • तो रहोगे तुम बिन आशीष के,
  • दंडित किये जाओगे निश्चय ही, निश्चय ही।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से


शनिवार, 11 मई 2019

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं"

कलिसियाओं के लिए पवित्र आत्मा के वचन "देहधारण के महत्व को दो देहधारण पूरा करते हैं"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "विश्व के सृजन के बाद से परमेश्वर के आत्मा ने इतना महान कार्य किया है; उसने विभिन्न युगों के दौरान, और भिन्न-भिन्न देशों में भिन्न-भिन्न कार्य किए हैं। प्रत्येक युग के लोग उसके भिन्न स्वभाव को देखते हैं, जो कि उस भिन्न कार्य के माध्यम से प्राकृतिक रूप से प्रकट होता है जिसे वह करता है।

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

58. प्रभु यीशु के लौट आने के अपने अध्ययन में कुछ लोग केवल बाइबल की भविष्यवाणियों को आधार बनाते हैं, लेकिन वे परमेश्वर की वाणी को सुनने की कोशिश नहीं करते। इस चलन के साथ क्या समस्या है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
सबसे पहले, चलो हम प्रत्येक वक्तव्य को सत्यापित नहीं करते हैं। इसके बजाय, चलो हम देखते हैं कि पवित्र आत्मा कैसे कार्य करता है। चलो हम यह देखने के लिए सच्चाई के साथ तुलना करते हैं कि हम जिस मार्ग पर चलते हैं वह पवित्र आत्मा के कार्य के अनुरूप है या नहीं, और यह जाँचने के लिए कि क्या यह मार्ग सही है पवित्र आत्मा के कार्य का उपयोग करते हैं। और जहाँ तक इस वक्तव्य या उस वक्तव्य के घटित होने की बात है, हम मनुष्यों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके बजाय हमारे लिए यह बेहतर है कि हम पवित्र आत्मा के कार्य और उस नवीनतम कार्य के बारे में बात करें जिसे परमेश्वर अब कर रहा है।

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?

अंतिम दिनों के मसीह के कथन, परमेश्वर की इच्छा, यीशु के नाम,

IV. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों और उसके नामों के बीच रहे संबंध के विषय में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

4. परमेश्वर के नाम के महत्व को नहीं जानने और परमेश्वर के नये नाम को स्वीकार न करने की मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
समय की प्रत्येक अवधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा, और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच में एक नई शुरुआत होगी। यदि मनुष्य केवल इन सच्चाईयों में ही बना रहता है कि "यहोवा ही परमेश्वर है" और "यीशु ही मसीहा है," जो ऐसी सच्चाईयां हैं जो केवल एक अकेले युग पर ही लागू होती हैं, तो मनुष्य कभी भी पवित्र आत्मा के कार्य के साथ कदम नहीं मिला पाएगा, और वह हमेशा पवित्र आत्मा के कार्य को हासिल करने में असमर्थ रहेगा। इसकी परवाह किए बगैर कि परमेश्वर कैसे कार्य करता है, मनुष्य जरा सा भी सन्देह किए बिना अनुसरण करता है, और वह करीब से अनुसरण करता है। इस रीति से, पवित्र आत्मा के द्वारा मनुष्य को कैसे निष्काषित किया जा सकता है?

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?

अंतिम दिनों के मसीह के कथन, यीशु के नाम, परमेश्वर की इच्छा,

IV. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों और उसके नामों के बीच रहे संबंध के विषय में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

2. परमेश्वर के कार्य के हर चरण और उसके नाम के बीच क्या संबंध है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिर परमेश्‍वर ने मूसा से यह भी कहा, 'तू इस्राएलियों से यह कहना, "तुम्हारे पितरों का परमेश्‍वर, अर्थात् अब्राहम का परमेश्‍वर, इसहाक का परमेश्‍वर, और याक़ूब का परमेश्‍वर, यहोवा, उसी ने मुझ को तुम्हारे पास भेजा है।" देख, सदा तक मेरा नाम यही रहेगा, और पीढ़ी पीढ़ी में मेरा स्मरण इसी से हुआ करेगा'" (निर्गमन 3:15)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
"यहोवा" वह नाम है जिसे मैंने इस्राएल में अपने कार्य के दौरान अपनाया था, और इसका अर्थ है इस्राएलियों (परमेश्वर के चुने हुए लोग) का परमेश्वर जो मनुष्य पर दया कर सकता है, मनुष्य को शाप दे सकता है, और मनुष्य के जीवन को मार्गदर्शन दे सकता है।

सोमवार, 5 नवंबर 2018

1. विभिन्न युगों में परमेश्वर को अलग-अलग नामों से क्यों बुलाया जाता है? परमेश्वर के नामों के महत्व क्या हैं?

अंतिम दिनों के मसीह के कथन, यीशु के नाम, परमेश्वर की इच्छा,

IV. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों और उसके नामों के बीच रहे संबंध के विषय में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

1. विभिन्न युगों में परमेश्वर को अलग-अलग नामों से क्यों बुलाया जाता है? परमेश्वर के नामों के महत्व क्या हैं?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
तुम्हें पता होना चाहिए कि मूल रूप से परमेश्वर का का कोई नाम नहीं था। उसने केवल एक, या दो या कई नाम धारण किए क्योंकि उसके पास करने के लिए काम था और उसे मानव जाति का प्रबंधन करना था। चाहे उसे किसी भी नाम से बुलाया जाए, क्या यह उसी के द्वारा स्वतंत्र रूप से चुना नहीं जाता है? क्या इसे तय करने के लिए उसे तुम्हारी, एक प्राणी की, आवश्यकता है? जिस नाम से परमेश्वर को बुलाया जाता है वह उसके अनुसार है जिसे मनुष्य समझ सकता है और मनुष्य की भाषा के अनुसार है, किन्तु इस नाम को मनुष्य द्वारा समस्त विशेषताओं के साथ सारगर्भित रूप से व्यक्त नहीं किया जा सकता है।

रविवार, 28 अक्टूबर 2018

13. कठिनाइयों के बीच परमेश्वर की इच्छा को समझना

13. कठिनाइयों के बीच परमेश्वर की इच्छा को समझना

ज़ियाओ रुई पैंज़िहुआ सिटी, सिचुआन प्रांत
जब मैं सुसमाचार का प्रचार कर रहा था, तो मेरा सामना विधर्मी अगुआओं से हुआ जो प्रतिरोध और गड़बड़ी करने के लिए झूठी गवाही देते थे, और पुलिस बुला लेते थे। इस वजह से जिन लोगों को मैं उपदेश दे रहा था वे हमारे संपर्क में आने की हिम्मत नहीं कर रहे थे, और जिन्होंने अभी-अभी सुसमाचार को स्वीकार किया था, वे परमेश्वर के कार्य में विश्वास करने में असमर्थ हो रहे थे। जब मैं बहुत मेहनत करता और फिर भी परिणाम बहुत ख़राब होते थे, तो मैंने सोचता था कि: इंजील के कार्य को संप न्न करना बहुत कठिन है। कितना अद्भुत होता यदि परमेश्वर ने बस कुछ चमत्कार दिखाये होते और उन लोगों को जो झूठी गवाही देते हैं और साथ ही उन लोगों को जो छले गए लोगों को दिखाने के लिए गंभीरता से परमेश्वर का विरोध करते हैं, दंड दिया होता। तब क्या सुसमाचार का कार्य ज्यादा शीघ्रता से नहीं कर दिया जाता?

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

3.ओहदा खोने के बाद ...

3. ओहदा खोने के बाद ...

हुईमीन जियाओजूओ शहर, हेनान प्रदेश
हर बार जब मैं किसी को बदले जाने और इस कारण उनके दुखी, कमजोर या रुष्ट होने और उनके अनुसरण न करने की घटना को देखती थी या इस बारे मेँ सुनती थी तो ऐसे लोगों के प्रति मेरे मन मेँ निरादर का भाव आ जाता था। मैं सोचती थी कि यह सब इससे अधिक कुछ नहीं है कि कलीसिया के अंतर्गत अलग-अलग लोगों के अलग-अलग कार्य कलाप हैं, यहाँ उच्च और निम्न मेँ कोई भेद नहीं है और हम सब परमेश्वर की संतति हैं तथा ऐसा कुछ भी नहीं है जिसको हम तुच्छ समझें। अत: मैं सोचती थी कि चाहें हम नए विश्वासियों की देख-रेख कर रहे हैं या किसी जनपद का नेतृत्व हमारे हाथ मेँ है; मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरा पूरा ध्यान ओहदे पर ही केंर्दित था, क्या मै इस तरह की सोच वाली व्यक्ति थी।

शनिवार, 13 अक्टूबर 2018

परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

3.परमेश्वर के न्याय और ताड़ना के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर पृथक करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ गया है। परमेश्वर उन सभी को जिन्होंने उसके राज्य में प्रवेश कर लिया है अर्थात्, वे सभी लोग जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं, स्वयं परमेश्वर के युग में ले जाता है। हालाँकि, जब तक स्वयं परमेश्वर का युग नहीं आ जाता है तब तक परमेश्वर जो कार्य करेगा वह मनुष्य के कर्मों को देखना या मनुष्य जीवन के बारे में पूछताछ करना नहीं, बल्कि उनके विद्रोह का न्याय करना है, क्योंकि परमेश्वर उन सभी को शुद्ध करेगा जो उसके सिंहासन के सामने आते हैं।

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

परमेश्वर के वचनों के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

1. परमेश्वर के वचनों के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, और उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके। उसने यह कार्य इसलिए किये ताकि वह मनुष्यों को जीतने, उन्हें पूर्ण बनाने और ख़त्म करने के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल कर सके। वचन के युग में वचन को उपयोग करने का यही वास्तविक अर्थ है।

शनिवार, 6 अक्टूबर 2018

मानवजाति को प्रबंधित करने का काम क्या है?

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

1. मानवजाति को प्रबंधित करने का काम क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। मानवजाति को बचाने का कार्य केवल मानवजाति के भ्रष्ट होने पर ही आरंभ हुआ, और इसलिए मानवजाति का प्रबंधन करने का कार्य भी मानवजाति के भ्रष्ट हो जाने पर ही आरम्भ हुआ।

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

परमेश्वर को भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से क्यों पुकारा जाता है?

अध्याय 2 तुम्हें परमेश्वर के नामों की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

2. परमेश्वर को भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से क्यों पुकारा जाता है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
प्रत्येक युग में,परमेश्वर नया कार्य करता है और उसे एक नए नाम से बुलाया जाता है;वह भिन्न-भिन्न युगों में एक ही कार्य कैसे कर सकता है?वह पुराने सेकैसे चिपका रह सकता है? यीशु का नाम छुटकारे के कार्यहेतु लिया गया था, तो क्या जब वह अंत के दिनों में लौटेगा तो तब भी उसे उसी नाम से बुलाया जाएगा?क्या वह अभी भी छुटकारे का कार्य करेगा? ऐसा क्यों है कि यहोवा और यीशु एक ही हैं, फिर भी उन्हें भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से बुलाया जाता है? क्या यह इसलिए नहीं कि उनके कार्य के युग भिन्न-भिन्न हैं? क्या केवल एक ही नाम परमेश्वर का उसकी संपूर्णता में प्रतिनिधित्व कर सकता है? इस तरह, भिन्न युग में परमेश्वर को भिन्न नाम के द्वारा अवश्य बुलाया जाना चाहिए, उसे युग को परिवर्तित करने और युग का प्रतिनिधित्व करने के लिए नाम का उपयोग अवश्य करना चाहिए, क्योंकि कोई भी एक नाम पूरी तरह से परमेश्वर स्वयं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

परमेश्वर नामों को क्यों अपनाता है, क्या एक ही नाम परमेश्वर की सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्व कर सकता है?

अध्याय 2 तुम्हें परमेश्वर के नामों की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

1. परमेश्वर नामों को क्यों अपनाता है, क्या एक ही नाम परमेश्वर की सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्व कर सकता है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
क्या यीशु का नाम, "परमेश्वर हमारे साथ," परमेश्वर के स्वभाव को उसकी समग्रता से व्यक्त कर सकता है? क्या यह पूरी तरह से परमेश्वर को स्पष्ट कर सकता है? यदि मनुष्य कहता है कि परमेश्वर को केवल यीशु कहा जा सकता है, और उसका कोई अन्य नाम नहीं हो सकता है क्योंकि परमेश्वर अपना स्वभाव नहीं बदल सकता है, तो ऐसे वचन ईशनिन्दा हैं! क्या तुम मानते हो कि यीशु नाम, परमेश्वर हमारे साथ, परमेश्वर का समग्रता से प्रतिनिधित्व कर सकता है? परमेश्वर को कई नामों से बुलाया जा सकता है, किन्तु इन कई नामों के बीच, एक भी ऐसा नहीं है जो परमेश्वर के स्वरूप को सारगर्भित रूप से व्यक्त कर सकता हो, एक भी ऐसा नहीं जो परमेश्वर का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व कर सकता हो।

रविवार, 30 सितंबर 2018

परमेश्वर के प्रकटन को उनके न्याय और ताड़ना में देखना

परमेश्वर के प्रकटन को उनके न्याय और ताड़ना में देखना

प्रभु यीशु मसीह के करोड़ों अनुयायियों के समान हम बाइबल की व्यवस्थाओं और आज्ञाओं का पालन करते हैं, प्रभु यीशु मसीह के विपुल अनुग्रह का आनंद लेते हैं, और प्रभु यीशु मसीह के नाम पर एक साथ इकट्ठे होते हैं, प्रार्थना, प्रशंसा और सेवा करते हैं—और यह सब हम प्रभु की देखभाल और सुरक्षा के अधीन करते हैं।

मंगलवार, 25 सितंबर 2018

5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, मसीह के कथन, बाइबल, परमेश्वर की इच्छा,

III. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य से सम्बंधित सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए

5. अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य को धार्मिक दुनिया द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने का प्रभाव और परिणाम क्या है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
समय की प्रत्येक अवधि में, परमेश्वर नया कार्य आरम्भ करेगा, और प्रत्येक अवधि में, मनुष्य के बीच में एक नई शुरुआत होगी। यदि मनुष्य केवल इन सच्चाईयों में ही बना रहता है कि "यहोवा ही परमेश्वर है" और "यीशु ही मसीहा है," जो ऐसी सच्चाईयां हैं जो केवल एक अकेले युग पर ही लागू होती हैं, तो मनुष्य कभी भी पवित्र आत्मा के कार्य के साथ कदम नहीं मिला पाएगा, और वह हमेशा पवित्र आत्मा के कार्य को हासिल करने में असमर्थ रहेगा। इसकी परवाह किए बगैर कि परमेश्वर कैसे कार्य करता है, मनुष्य जरा सा भी सन्देह किए बिना अनुसरण करता है, और वह करीब से अनुसरण करता है।

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते है...