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शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

परमेश्वर कैसे पूरे ब्रह्मांड पर प्रभुत्व रखता है और प्रशासन करता है?

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परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
इस विशाल ब्रह्मांड में ऐसे कितने प्राणी हैं जो सृष्टि के नियम का बार-बार पालन करते हुए, एक ही निरंतर नियम पर चल रहे हैं और प्रजनन कार्य में लगे हैं। जो लोग मर जाते हैं वे जीवितों की कहानियों को अपने साथ ले जाते हैं और जो जीवित हैं वे मरे हुओं के वही त्रासदीपूर्ण इतिहास को दोहराते रहते हैं। मानवजाति बेबसी में स्वयं से पूछती हैः हम क्यों जीवित हैं? और हमें करना क्यों पडता है? यह संसार किसके आदेश पर चलता है? मानवजाति को किसने रचा है? क्या वास्तव में मानवजाति प्रकृति के द्वारा ही रची गई है? क्या मानवजाति वास्तव में स्वयं के भाग्य के नियंत्रण में है? ... मनुष्य नहीं जानता कि ब्रह्मांड की सत्ता किसके पास है, मानवजाति की उत्पत्ति और भविष्य तो वह बिल्कुल नहीं जानता।

शनिवार, 24 नवंबर 2018

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?

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IX. मसीह स्वयं परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति है, इस बारे में हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है" (1यूहन्ना 4:2-3)।
"क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है" (2यूहन्ना 1:7)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
चूँकि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर के सभी वचनों और उसके सभी कार्यों में विश्वास अवश्य रखना चाहिए। अर्थात्, चूँकि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें आज्ञापालन अवश्य करना चाहिए। यदि तुम ऐसा करने में असमर्थ हो, तो यह मायने नहीं रखता है कि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो या नहीं। यदि तुमने वर्षों तक परमेश्वर पर विश्वास किया है, फिर भी कभी भी उसका आज्ञापालन नहीं किया है या उसके सभी वचनों को स्वीकार नहीं किया है, बल्कि उसके बजाए परमेश्वर से समर्पण करने को और तुम्हारी अवधारणाओं के अनुसार कार्य करने को कहा है, तो तुम सब से अधिक विद्रोही व्यक्ति हो, और तुम एक अविश्वासी हो।

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?

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IX. मसीह स्वयं परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति है, इस बारे में हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिलिप्पुस ने उससे कहा, 'हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।' यीशु ने उससे कहा, 'हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:8-11)।
"मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं।

गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

परमेश्वर के वचनों के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

1. परमेश्वर के वचनों के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
राज्य के युग में, परमेश्वर नए युग की शुरूआत करने, अपने कार्य के साधन बदलने, और संपूर्ण युग में काम करने के लिये अपने वचन का उपयोग करता है। वचन के युग में यही वह सिद्धांत है, जिसके द्वारा परमेश्वर कार्य करता है। वह देहधारी हुआ ताकि विभिन्न दृष्टिकोणों से बातचीत कर सके, मनुष्य वास्तव में परमेश्वर को देख सके, जो देह में प्रकट होने वाला वचन है, और उसकी बुद्धि और आश्चर्य को जान सके। उसने यह कार्य इसलिए किये ताकि वह मनुष्यों को जीतने, उन्हें पूर्ण बनाने और ख़त्म करने के लक्ष्यों को बेहतर ढंग से हासिल कर सके। वचन के युग में वचन को उपयोग करने का यही वास्तविक अर्थ है।

शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018

परमेश्वर को भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से क्यों पुकारा जाता है?

अध्याय 2 तुम्हें परमेश्वर के नामों की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

2. परमेश्वर को भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से क्यों पुकारा जाता है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
प्रत्येक युग में,परमेश्वर नया कार्य करता है और उसे एक नए नाम से बुलाया जाता है;वह भिन्न-भिन्न युगों में एक ही कार्य कैसे कर सकता है?वह पुराने सेकैसे चिपका रह सकता है? यीशु का नाम छुटकारे के कार्यहेतु लिया गया था, तो क्या जब वह अंत के दिनों में लौटेगा तो तब भी उसे उसी नाम से बुलाया जाएगा?क्या वह अभी भी छुटकारे का कार्य करेगा? ऐसा क्यों है कि यहोवा और यीशु एक ही हैं, फिर भी उन्हें भिन्न-भिन्न युगों में भिन्न-भिन्न नामों से बुलाया जाता है? क्या यह इसलिए नहीं कि उनके कार्य के युग भिन्न-भिन्न हैं? क्या केवल एक ही नाम परमेश्वर का उसकी संपूर्णता में प्रतिनिधित्व कर सकता है? इस तरह, भिन्न युग में परमेश्वर को भिन्न नाम के द्वारा अवश्य बुलाया जाना चाहिए, उसे युग को परिवर्तित करने और युग का प्रतिनिधित्व करने के लिए नाम का उपयोग अवश्य करना चाहिए, क्योंकि कोई भी एक नाम पूरी तरह से परमेश्वर स्वयं का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।

गुरुवार, 4 अक्टूबर 2018

परमेश्वर नामों को क्यों अपनाता है, क्या एक ही नाम परमेश्वर की सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्व कर सकता है?

अध्याय 2 तुम्हें परमेश्वर के नामों की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

1. परमेश्वर नामों को क्यों अपनाता है, क्या एक ही नाम परमेश्वर की सम्पूर्णता का प्रतिनिधित्व कर सकता है?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
क्या यीशु का नाम, "परमेश्वर हमारे साथ," परमेश्वर के स्वभाव को उसकी समग्रता से व्यक्त कर सकता है? क्या यह पूरी तरह से परमेश्वर को स्पष्ट कर सकता है? यदि मनुष्य कहता है कि परमेश्वर को केवल यीशु कहा जा सकता है, और उसका कोई अन्य नाम नहीं हो सकता है क्योंकि परमेश्वर अपना स्वभाव नहीं बदल सकता है, तो ऐसे वचन ईशनिन्दा हैं! क्या तुम मानते हो कि यीशु नाम, परमेश्वर हमारे साथ, परमेश्वर का समग्रता से प्रतिनिधित्व कर सकता है? परमेश्वर को कई नामों से बुलाया जा सकता है, किन्तु इन कई नामों के बीच, एक भी ऐसा नहीं है जो परमेश्वर के स्वरूप को सारगर्भित रूप से व्यक्त कर सकता हो, एक भी ऐसा नहीं जो परमेश्वर का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व कर सकता हो।

बुधवार, 19 सितंबर 2018

मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।

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 मानव जाति के प्रबंधन से सम्बंधित परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के उद्देश्य को जानो।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग। प्रत्येक युग की प्रकृति के अनुसार मेरा कार्य इन तीनों युगों में तत्वतः अलग-अलग है, परन्तु प्रत्येक चरण में यह मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है—या बल्कि, अधिक स्पष्ट कहें तो, यह उन छलकपटों के अनुसार किया जाता है जो शैतान उस युद्ध में काम में लाता है जो मैं उसके विरुद्ध शुरू करता हूँ।

शनिवार, 15 सितंबर 2018

यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?

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यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (युहन्‍ना 1:14)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते; और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है" (युहन्‍ना 14:6-7)।
"मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है …" (युहन्‍ना 14:10)।
"मैं और पिता एक हैं" (युहन्‍ना 10:30)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

बुधवार, 12 सितंबर 2018

यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?


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यह क्यों है कि केवल देह-धारी परमेश्वर के कार्य के अनुभव और आज्ञा-पालन करने के द्वारा ही कोई परमेश्वर को जान सकता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (युहन्‍ना 1:14)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता। यदि तुम ने मुझे जाना होता, तो मेरे पिता को भी जानते; और अब उसे जानते हो, और उसे देखा भी है" (युहन्‍ना 14:6-7)।
"मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है …" (युहन्‍ना 14:10)।
"मैं और पिता एक हैं" (युहन्‍ना 10:30)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

रविवार, 9 सितंबर 2018

न्याय के कार्य को करने के लिए देह-धारण किया हुआ परमेश्वर किस तरह मानव जाति के अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास को और शैतान के प्रभुत्व के अंधेरे युग को समाप्त करता है?

 
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न्याय के कार्य को करने के लिए देह-धारण किया हुआ परमेश्वर किस तरह मानव जाति के अस्पष्ट परमेश्वर में विश्वास को और शैतान के प्रभुत्व के अंधेरे युग को समाप्त करता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"अन्त के दिनों में ऐसा होगा कि यहोवा के भवन का पर्वत सब पहाड़ों पर दृढ़ किया जाएगा, और सब पहाड़ियों से अधिक ऊँचा किया जाएगा; और हर जाति के लोग धारा के समान उसकी ओर चलेंगे। बहुत से देशों के लोग आएँगे, और आपस में कहेंगे: आओ, हम यहोवा के पर्वत पर चढ़कर, याकूब के परमेश्‍वर के भवन में जाएँ; तब वह हमको अपने मार्ग सिखाएगा, और हम उसके पथों पर चलेंगे। क्योंकि यहोवा की व्यवस्था सिय्योन से, और उसका वचन यरूशलेम से निकलेगा।

शनिवार, 8 सितंबर 2018

यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?

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यह कैसे समझें कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था। यही आदि में परमेश्‍वर के साथ था" (युहन्ना 1:1-2)।
"और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा" (युहन्ना 1:14)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुँच सकता" (युहन्ना 14:6)।
"आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं; जो बातें मैं ने तुम से कही हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं" (युहन्ना 6:63)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

बुधवार, 5 सितंबर 2018

यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?

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यह क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर का दो बार देहधारी होना देह-धारण की महत्ता को पूरा करता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"वैसे ही मसीह भी बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ; और जो लोग उसकी बाट जोहते हैं उनके उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप उठाए हुए दिखाई देगा" (इब्रानियों 9:28)।
"आदि में वचन था, और वचन परमेश्‍वर के साथ था, और वचन परमेश्‍वर था" (युहन्ना 1:1)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

सोमवार, 3 सितंबर 2018

यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?

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यह क्यों कहा जाता है कि भ्रष्ट मानव जाति को देह बने परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है?

(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है

रविवार, 2 सितंबर 2018

देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

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देह-धारी परमेश्वर और जो परमेश्वर द्वारा उपयोग में लाए जाते हैं उन लोगों के बीच सारभूत अंतर क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"मैं तो पानी से अथवा, में तुम्हें मन फिराव का बपतिस्मा देता हूँ, परन्तु जो मेरे बाद आने वाला है, वह मुझ से शक्‍तिशाली है; मैं उसकी जूती उठाने के योग्य नहीं। वह तुम्हें पवित्र आत्मा और आग से बपतिस्मा देगा" (मत्ती 3:11)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

शनिवार, 1 सितंबर 2018

अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को करने के लिए परमेश्वर मनुष्य का उपयोग क्यों नहीं करता, इसके बजाय उसे देह-धारण कर, स्वयं इसे क्यों करना पड़ता है?

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अंतिम दिनों में अपने न्याय के कार्य को करने के लिए परमेश्वर मनुष्य का उपयोग क्यों नहीं करता, इसके बजाय उसे देह-धारण कर, स्वयं इसे क्यों करना पड़ता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जैसा पिता मरे हुओं को उठाता और जिलाता है, वैसा ही पुत्र भी जिन्हें चाहता है उन्हें जिलाता है" (युहन्ना 5:22)।
"वरन् उसे न्याय करने का भी अधिकार दिया है, इसलिये कि वह मनुष्य का पुत्र है" (युहन्ना 5:27)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

गुरुवार, 30 अगस्त 2018

देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?

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देह-धारी परमेश्वर के कार्य और आत्मा के कार्य के बीच क्या अंतर है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"मूसा ने कहा, "मुझे अपना तेज दिखा दे। उसने कहा, … तू मेरे मुख का दर्शन नहीं कर सकता; क्योंकि मनुष्य मेरे मुख का दर्शन करके जीवित नहीं रह सकता" (निर्गमन 33:18-20).
"और यहोवा सीनै पर्वत की चोटी पर उतरा; और मूसा को पर्वत की चोटी पर बुलाया, और मूसा ऊपर चढ़ गया। तब यहोवा ने मूसा से कहा, "नीचे उतर के लोगों को चेतावनी दे, कहीं ऐसा न हो कि वे बाड़ा तोड़ के यहोवा के पास देखने को घुसें, और उनमें से बहुत से नष्‍ट हो जाएँ" (निर्गमन 19:20-21)।
"सब लोग गर्जन और बिजली और नरसिंगे के शब्द सुनते, और धूआँ उठते हुए पर्वत को देखते रहे,

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?

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देहधारण क्या है? देहधारण का तत्व क्या है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्‍चाई से परिपूर्ण होकर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उसकी ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।" (युहन्ना 1:14)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (युहन्ना 14:6)।
"यीशु ने उससे कहा, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है?

सोमवार, 27 अगस्त 2018

प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन, यीशु, परमेश्वर, बाइबल, प्रार्थना

प्रभु यीशु ने स्वयं भविष्यवाणी की थी कि परमेश्वर आखिरी दिनों में देहधारण करेगा और कार्य करने के लिए मनुष्य के पुत्र के रूप में प्रकट होगा।

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"तुम भी तैयार रहो; क्योंकि जिस घड़ी तुम सोचते भी नहीं, उसी घड़ी मनुष्य का पुत्र आ जाएगा" (लूका 12:40)।
"क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)।
"आधी रात को धूम मची: 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो" (मत्ती 25:6)।

सोमवार, 20 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "तुम लोग अधार्मिकता के दृष्टिकोण से मसीह के सभी कर्मों पर विचार करते हो और उसके सभी कार्यों और साथ ही उसकी पहचान और सार का मूल्यांकन दुष्ट के परिप्रेक्ष्य से करते हो। तुम लोगों ने बहुत अधिक गम्भीर गलती की है और ऐसा किया है जो तुमसे पहले आने वाले लोगों द्वारा कभी नहीं किया गया है।

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

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