Hindi Christian Crosstalk | पिंजड़े से भाग निकली | A Christian's Testimony of Faith
मिश्रित वार्ता "पिंजड़े से भाग निकली" एक ईसाई युवती शाओलान की कहानी बयान करती है कि किस तरह उसके कम्युनिस्ट पार्टी अधिकारी पिता ने उस पर अत्याचार किये और अपने ही घर में उसे महीने भर तक कमरे में नज़रबंद रखा, जिस कारण वह कलीसिया जीवन में भाग नहीं ले पायी, और कैसा था उसका अपने घर से भाग निकलने का अनुभव। एक कभी-खुशहाल परिवार टूट कर बिखर गया, एक बेटी अपनी मां को छोड़कर चली गयी, और उसके पिता ने अपने मन में उसके खिलाफ गहरी दुश्मनी को जगह दे दी। इन सबका मुख्य सूत्रधार कौन था? और शाओलान को किसने दी आस्था और शक्ति, और किसने की पिंजड़े से भाग निकलने और जीवन के सही मार्ग पर चलने में उसकी अगुवाई?
चमकती पूर्वी बिजली, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का सृजन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रकट होने और उनका काम, परमेश्वर यीशु के दूसरे आगमन, अंतिम दिनों के मसीह की वजह से किया गया था।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या तुम जानते हो? परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच एक बहुत बड़ा काम किया है"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं "यीशु के कार्य के बिना मानवजाति दुखों से पार नहीं पा सकती थी, परन्तु बिना देहधारण के आज वे कभी परमेश्वर की सराहना नहीं पा सकते या नये युग में प्रवेश नहीं कर सकते। इस साधारण मनुष्य के आगमन के बिना, तुम सबको कभी भी यह अवसर नहीं मिलता या तुम लोग कभी भी इस योग्य नहीं हो सकते कि परमेश्वर के सच्चे मुख का दर्शन कर सको। क्योंकि तुम जैसों को तो बहुत पहले ही नष्ट कर दिया जाना चाहिए था, परंतु परमेश्वर ने दूसरी बार परमेश्वर के देहधारण के कारण तुम लोगों को क्षमा किया है और तुम लोगों पर दया दिखाई है। खैर, मैं अंत में इन शब्दों के साथ तुम सब से विदा लेना चाहता हूं: यह साधारण-सा मनुष्य जो देहधारी परमेश्वर है, तुम लोगों के लिये बहुत महत्वपूर्ण है। यही वह सबसे बड़ा काम है, जिसे परमेश्वर ने मनुष्यों के बीच पहले से ही कर दिया है।"
"And he said to them, Go you into all the world, and preach the gospel to every creature.--Mark 16:15
Hallelujah! Preaching the gospel to more people is the will of my lord. Chen risked their life to preach, her true heart to God and what she did touched and inspired me!"
Hindi Christian Movie | सुसमाचार दूत | Preaching the Gospel of the Kingdom of Heaven to All Peoples
ईसाई चेन यिशिन कई वर्षों से प्रभु में विश्वास करती रही है, और उसने अंत के दिनों में प्रभु यीशु—सर्वशक्तिमान परमेश्वर की वापसी का स्वागत करने का सौभाग्य पाया है! उसे इंसान को बचाने की सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उत्कट इच्छा समझ में आ गई और यह भी समझ में आ गया कि एक सृजित प्राणी का लक्ष्य और दायित्व क्या होना चाहिये। इसलिए उसने सुसमाचार का प्रचार और अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की गवाही देनी आरंभ कर दी। इस कार्य के लिये वह शहर-शहर, प्रांत-प्रांत घूमने लगी। इस दौरान उसे धार्मिक मंडलियों के दमन और अस्वीकृति का भी सामना करना पड़ा। सीसीपी ने उसका पीछा किया, उसे यातना दी। उसने अनेक दुख और पीड़ाएँ सहीं। मगर परमेश्वर के वचनों के मार्गदर्शन से वह अपने लक्ष्य पर डटी रही और बेख़ौफ़ तथा साहसपूर्वक आगे बढ़ती रही...
I’m not certain whether Jesus Christ truly comes back and works in China, but to be honest, their fellowship have biblical basis and conforms to the Lord’s teaching. I’d better know more about this church!
Hindi Christian Movie | महाअज्ञान | Why Can’t Foolish Virgins Enter the Kingdom of Heaven? (Hindi Dubbed)
झेंग मुएन अमेरिका में चीन की एक ईसाई कलीसिया में सहकर्मी हैं, उन्होंने कई वर्षों से प्रभु में विश्वास किया है, और वे प्रभु के लिए बड़ी लगन से काम करते हैं और स्वयं को खपाते हैं। एक दिन, उनकी आंटी उन्हें गवाही देती हैं कि प्रभु यीशु अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करने और न्याय और मनुष्य को शुद्ध करने का कार्य करने के लिए लौट आये हैं। यह खबर उन्हें बहुत उत्साहित करती है।सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की फ़िल्में और वीडियो देखने के बाद, झेंग मुएन का दिल सत्यापित करता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य हैं, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर अवश्य प्रभु यीशु की वापसी हो सकते हैं, इसलिए वे अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जांच-पड़ताल शुरू कर देते हैं। लेकिन जब उनकी कलीसिया के अगुआ पादरी मा को इस बात का पता चलता है, तो वे बार-बार रुकावट पैदा करने और झेंग मुएन को रोकने की कोशिश करते हैं।वे झेंग मुएन से सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल छुड़वाने की कोशिश में, उन्हें चीनी सरकार का एक प्रचार वीडियो दिखाते हैं जिसमें चमकती पूर्वी बिजली को बदनाम कर उसकी निंदा की जाती है, और यह वीडियो उन्हें पशोपेश में डाल देता है: वे जाहिर तौर पर देख पाते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, तो फिर धार्मिक दुनिया के पादरी और एल्डर्स सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा क्यों करते हैं? वे न केवल खुद उनकी खोज या जांच-पड़ताल करने से इनकार करते हैं, वे दूसरों को भी सच्चे मार्ग को स्वीकार करने से रोकने की कोशिश करते हैं। ऐसा क्यों है?....झेंग मुएन को धोखा खाने और गलत रास्ता पकड़ने का डर है, मगर साथ ही वे आरोहित होने का अपना मौक़ा खो देने से भी डरते हैं। इस संघर्ष और उलझन में, पादरी मा चीनी सरकार और धार्मिक दुनिया का और भी ज़्यादा नकारात्मक प्रचार पेश करते हैं, जिससे झेंग मुएन के दिल में और भी बहुत-सी शंकाएं पैदा हो जाती हैं। वे पादरी मा की बात मानने और सच्चे मार्ग की अपनी जांच-पड़ताल को छोड़ देने का फैसला कर लेते हैं। बाद में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के गवाहों की गवाहियां और संगति सुनाने के बाद, झेंग मुएन समझ पाते हैं कि सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल करने में, सबसे बुनियादी सिद्धांत यह तय करना है कि क्या उस मार्ग में सत्य है और क्या वह परमेश्वर की वाणी को व्यक्त करता है। जो भी कोई बहुत सत्य व्यक्त कर सकते हों, वे अवश्य मसीह के प्रकटन होंगे, क्योंकि भ्रष्ट मानवजाति का कोई भी सदस्य कभी सत्य व्यक्त नहीं कर सकता। यह एक अकाट्य तथ्य है। अगर सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल करते समय कोई परमेश्वर की वाणी को सुनने पर ध्यान नहीं देते, और इसके बजाय अपनी कल्पनाओं के आधार पर सफ़ेद बादलों पर प्रभु यीशु के उतरने का इंतज़ार करते हैं, तो वे कभी भी परमेश्वर के प्रकटन का स्वागत नहीं कर पायेंगे। झेंग मुएन अंत में समझ पाते हैं कि बुद्धिमान कुवांरियों का, प्रभु यीशु द्वारा बोली गयी परमेश्वर की वाणी को सुनने का रहस्य क्या है, और फिर वे चीनी सरकार और धार्मिक दुनिया के पादरियों और एल्डर्स की झूठी बातों और बेतुके सिद्धांतों पर यकीन न करने का फैसला करते हैं, और अपने धार्मिक पादरी के चंगुल और बंधनों से छुटकारा पा लेते हैं। झेंग मुएन सच्चे मार्ग की जांच-पड़ताल करने की मुश्किलों का गहराई से अनुभव करते हैं। विवेक के बिना और सत्य को खोजे बिना, परमेश्वर की वाणी को सुनने या परमेश्वर के सिंहासन के सामने आरोहित होने का कोई रास्ता नहीं है। इसके बदले, कोई सिर्फ शैतान से धोखा खाकर उसके नियंत्रण में फंस सकता है, और शैतान के जाल में मर सकता है; इससे बाइबल का यह वचन पूरा होता है, "मेरे ज्ञान के न होने से मेरी प्रजा नष्ट हो गई" (होशे 4:6)। "मूढ़ लोग निर्बुद्धि होने के कारण मर जाते हैं" (नीतिवचन 10:21)।
This new hindi christian song touched me very much. As adam and eve were tempted by the serpent, mankind started to be corrupted by satan. It is since then that God began his work of saving man. God loves me so much! thank God!
Hindi Christian Song | "इंसान के लिए परमेश्वर के प्रबंध के मायने" | The Salvation of God
प्रबंधन ईश्वर का ऐसे लोगों को प्राप्त करने के लिए है
भ्रष्ट मानवता को आवश्यकता है परमेश्वर द्वारा उद्धार की
दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य।
दूषित मानवता को चाहिये देहधारी परमेश्वर का कार्य।
देह बना परमेश्वर क्योंकि, शैतान की रूह नहीं है लक्ष्य उसका,
ना अन्य कोई चीज़ है, बस मानव है लक्ष्य उसके काम का।
Hindi Gospel Song | केवल सृष्टिकर्ता मानवता पर दया करता है | God Is Love
केवल सृष्टिकर्ता मानवता पर दया करता है
मानवता के साथ केवल सृष्टिकर्ता का है दया और प्रेम का अटूट बंधन।
बस वो ही संजोता अपनी सारी सृष्टि।
उसका हर विचार, होता हमेशा मानवता की भलाई के लिए,
मानवता की भलाई के लिए।
उनके अस्तित्व से बंधे हैं परमेश्वर के हर जज़्बात।
Hindi Christian Video | संकट में स्वर्गारोहण | The Salvation of the Lord in the Last Days (Hindi Dubbed)
झो झिगांग चीन के एक स्थानीय कलीसिया में एल्डर है। बहुत से ईसाईयों की तरह, प्रभु के एक विश्वासी के रूप में उसकी जीवित स्वर्गाहोण किए जाने की, प्रभु से मिलने की और उसके साथ शासन करने की सबसे बड़ी आशा है। 1999 में, जब कलीसिया के अगुवा ने संदेश जारी किया कि, "वर्ष 2000 में प्रभु फिर से आएगा, और उसके विश्वासियों का जीवित स्वर्गारोहण किया जाएगा," तो वह पहले की तुलना में और भी ज़्यादा उत्तेजित और उत्साही हो गया था। आस्था और आत्मविश्वास से लबालब भरे उसे भविष्य में आशा और अपेक्षा दिखायी देने लगीं।... हालाँकि, वर्ष 2000 आया और चला गया, उनकी आशाएँ बिखर गईं। उसके संप्रदाय में आस्था का एक अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया, और वह यह सोचने के अलावा और कुछ नहीं कर सका कि उसने सही मार्ग चुना भी था या नहीं?
इन अनेक वर्षों में परमेश्वर का अनुसरण करते हुए, मैंने अपने परिवार और देह के आनंदों को त्याग दिया है, और मैं पूरा दिन कलीसिया में अपना कार्य करने में व्यस्त रही हूँ। इसलिए मैं मानती हूँ: जब तक मैं कलीसिया में मुझे सौंपे गए काम को छोड़ती नहीं हूँ, परमेश्वर को धोखा नहीं देती हूँ, कलीसिया को छोड़ती नहीं हूँ, और अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करती हूँ, परमेश्वर मुझे क्षमा करेगा और मैं परमेश्वर द्वारा बचाई जाती रहूंगी। मैं यह भी मानती थी कि मैं परमेश्वर द्वारा मुक्ति के मार्ग पर चल रही हूँ, और मुझे बस इतना करना है कि मुझे अंत तक उसका अनुसरण करना है।
परंतु कुछ दिन पहले, मैंने किसी व्यक्ति के प्रवचनों के लेख देखे “केवल वही जो सत्य को प्राप्त करते हैं और वास्तविकता में प्रवेश करते हैं, वे ही सच में बचते हैं” : “परमेश्वर द्वारा बचाया जाना उतना सरल नहीं होता जितना की लोग कल्पना करते हैं।
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, और मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके स्वभाव, जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था, से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया। वे सब जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़ी आशीषें प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे, और सत्य, मार्ग और जीवन को प्राप्त करेंगे।
उस समय यीशु का कार्य समस्त मानव जाति का छुटकारा था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; जितने समय तक तुम उस पर विश्वास करते थे, उतने समय तक वह तुम्हें छुटकारा देगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते थे, तो तुम अब और पापी नहीं थे, तुम अपने पापों से मुक्त हो गए थे। यही है बचाए जाने, और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ। फिर भी जो विश्वास करते थे उन लोगों के बीच, वह रह गया था जो विद्रोही था और परमेश्वर का विरोधी था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था। उद्धार का अर्थ यह नहीं था कि मनुष्य पूरी तरह से यीशु द्वारा प्राप्त कर लिया गया था, लेकिन यह कि मनुष्य अब और पापी नहीं था, कि उसे उसके पापों से क्षमा कर दिया गया था: बशर्ते कि तुम विश्वास करते थे, तुम कभी भी अब और पापी नहीं बनोगे।
6000 वर्षों के परमेश्वर के प्रबधंन के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है: व्यवस्था का युग, अनुग्रह का युग, और राज्य का युग। इन तीन चरणों का सम्पूर्ण कार्य मानवजाति के उद्धार के लिए है, कहने का तात्पर्य है, वे ऐसी मानवजाति के उद्धार के लिए हैं जिसे शैतान के द्वारा बुरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया है। फिर भी, ठीक उसी समय वे इसलिए भी हैं ताकि परमेश्वर शैतान के साथ युद्ध कर सके। इस प्रकार, जैसे उद्धार के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है, वैसे ही शैतान के साथ युद्ध को भी तीन चरणों में बांटा गया है, और परमेश्वर के कार्य के इन दो चरणों को एक ही समय में संचालित किया जाता है।
परमेश्वर के उद्धार के कार्य के दौरान, जो भी बचाए जा सकते हैं, उन्हें अधिकतम सीमा तक बचाया जाएगा, उनमें से किसी को भी त्यागा नहीं जाएगा, क्योंकि परमेश्वर का कार्य का उद्देश्य मनुष्य को बचाना है। परमेश्वर द्वारा मनुष्य के उद्धार के समय के दौरान, जो लोग अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने में असमर्थ हैं, वे सभी जो पूरी तरह से परमेश्वर की आज्ञापालन करने में असमर्थ हैं, दण्ड के पात्र होंगे। कार्य का यह चरण—वचनों का कार्य—मनुष्य के लिए उन सभी तरीकों और रहस्यों को खोलता है जो उसकी समझ में नहीं आते हैं, ताकि मनुष्य परमेश्वर की इच्छा और परमेश्वर की मनुष्य से अपेक्षाओं को समझ सके, ताकि उसके पास परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाने और अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने की परिस्थिति हो।
यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के बीच में अपना कार्य करने के लिये देहधारी हो गया। उसका कार्य एकाकीपन में नहीं किया गया, बल्कि यहोवा के कार्य पर किया गया। यह नये युग के लिये एक कार्य था जब परमेश्वर ने व्यवस्था के युग का समापन कर दिया था। इसी प्रकार, यीशु का कार्य समाप्त हो जाने के बाद, परमेश्वर ने तब भी अगले युग के लिये अपने कार्य को जारी रखा, क्योंकि परमेश्वर का सम्पूर्ण प्रबंधन सदैव आगे बढ़ता है। जब पुराना युग बीत जाएगा, उसके स्थान पर नया युग आ जाएगा, और एक बार जब पुराना कार्य पूरा हो जाएगा, तो एक नया कार्य परमेश्वर के प्रबंधन को जारी रखेगा। यीशु के कार्य के पूरा होने के बाद यह देहधारण परमेश्वर का दूसरा देहधारण है।
मनुष्य के लिए, परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने ने परमेश्वर के देहधारण के कार्य को संपन्न किया, समस्त मानव जाति को छुटकारा दिलाया, और परमेश्वर को अधोलोक की चाबी ज़ब्त करने की अनुमति दी। हर कोई सोचता है कि परमेश्वर का कार्य पूरी तरह से निष्पादित हो चुका है। वास्तविकता में, परमेश्वर के लिए, उसके कार्य का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही निष्पादित हुआ है। उसने मानव जाति को केवल छुटकारा दिलाया है; उसने मानवजाति को जीता नहीं है, मनुष्य में शैतान की कुटिलता को बदलने की बात को तो छोड़ो। यही कारण है कि परमेश्वर कहता है, "यद्यपि मेरी देहधारी देह मृत्यु की पीड़ा से गुज़री है, किन्तु वह मेरे देहधारण का पूर्ण लक्ष्य नहीं था। यीशु मेरा प्यारा पुत्र है और उसे मेरे लिए सलीब पर चढ़ाया गया था, किन्तु उसने मेरे कार्य का पूरी तरह से समापन नहीं किया।
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, और मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके स्वभाव, जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था, से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया। वे सब जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़ी आशीषें प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे, और सत्य, मार्ग और जीवन को प्राप्त करेंगे।
5. परमेश्वर पर विश्वास केवल शान्ति और आशीषों को खोजने के लिए ही नहीं होना चाहिए।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज, आपको सही रास्ते पर नियत अवश्य होना चाहिए क्योंकि तुम व्यावहारिक परमेश्वर में विश्वास करते हो। परमेश्वर में विश्वास करके, तुम्हें सिर्फ़ आशीषों को ही नहीं खोजना चाहिए, बल्कि परमेश्वर को प्रेम करने और परमेश्वर को जानने की कोशिश करनी चाहिए। इस प्रबुद्धता और तुम्हारी स्वयं की खोज के माध्यम से, तुम उसके वचन को खा और पी सकते हो, परमेश्वर के बारे में एक सच्ची समझ को विकसित कर सकते हो, और परमेश्वर के लिए एक सच्चा प्रेम रख सकते हो जो तुम्हारे हृदय से आता है। दूसरे शब्दों में, परमेश्वर के लिए तुम्हारा प्रेम सबसे अधिक सच्चा है, इतना कि उसके लिए तुम्हारे प्रेम को कोई नष्ट नहीं कर सकता है या उसके लिए तुम्हारे प्रेम के मार्ग में कोई खड़ा नहीं हो सकता है। तब तुम परमेश्वर में विश्वास के सही रास्ते पर होते हो।
VII. अंतिम दिनों का मसीह जो लाता है केवल वही अनन्त जीवन का मार्ग है, इस बारे में अवश्य ही हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए
3. हर किसी को अनुग्रह के युग में पश्चाताप के मार्ग और अंतिम दिनों में अनन्त जीवन के मार्ग के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"यदि कोई मेरी बातें सुनकर न माने, तो मैं उसे दोषी नहीं ठहराता; क्योंकि मैं जगत को दोषी ठहराने के लिये नहीं, परन्तु जगत का उद्धार करने के लिये आया हूँ। जो मुझे तुच्छ जानता है और मेरी बातें ग्रहण नहीं करता है उसको दोषी ठहरानेवाला तो एक है: अर्थात् जो वचन मैं ने कहा है, वही पिछले दिन में उसे दोषी ठहराएगा" (यूहन्ना 12:47-48)।
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया।
VI. अनुग्रह के युग में बचाए जाने और राज्य के युग में उद्धार पाने के बीच रहे अंतर की सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए
2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैयव्यवस्था 11:45)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया।
VI. अनुग्रह के युग में बचाए जाने और राज्य के युग में उद्धार पाने के बीच रहे अंतर की सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए
"जो विश्वास करे और बपतिस्मा ले उसी का उद्धार होगा, परन्तु जो विश्वास न करेगा वह दोषी ठहराया जाएगा" (मरकुस 16:16)।
"क्योंकि यह वाचा का मेरा वह लहू है, जो बहुतों के लिये पापों की क्षमा के निमित्त बहाया जाता है" (मत्ती 26:28)।
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
उस समय यीशु का कार्य समस्त मानव जाति का छुटकारा था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; जितने समय तक तुम उस पर विश्वास करते थे, उतने समय तक वह तुम्हें छुटकारा देगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते थे, तो तुम अब और पापी नहीं थे, तुम अपने पापों से मुक्त हो गए थे। यही है बचाए जाने, और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ। फिर भी जो विश्वास करते थे उन लोगों के बीच, वह रह गया था जो विद्रोही था और परमेश्वर का विरोधी था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था। उद्धार का अर्थ यह नहीं था कि मनुष्य पूरी तरह से यीशु द्वारा प्राप्त कर लिया गया था, लेकिन यह कि मनुष्य अब और पापी नहीं था, कि उसे उसके पापों से क्षमा कर दिया गया था: बशर्ते कि तुम विश्वास करते थे, तुम कभी भी अब और पापी नहीं बनोगे।