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शनिवार, 26 जनवरी 2019

59. बहुत-से लोग मानते हैं कि परमेश्वर में विश्वास करने का अर्थ बाइबल से कभी भी भटकना नहीं है, और बाइबल से भटकने का अर्थ परमेश्वर को धोखा देना है। क्या यह नज़रिया सही है?

यहूदी फरीसी यीशु को दोषी ठहराने के लिए मूसा की व्यवस्था का उपयोग करते थे। उन्होंने उस समय के यीशु के अनुकूल होने की खोज नहीं की, बल्कि नियम का अक्षरशः पालन कर्मठतापूर्वक किया, इस हद तक किया कि अंततः उन्होंने निर्दोष यीशु को, पुराने नियम की व्यवस्था का पालन न करने और मसीहा न होने का आरोप लगाते हुए, क्रूस पर चढ़ा दिया। उनका सारतत्व क्या था? क्या यह ऐसा नहीं था कि उन्होंने सत्य के अनुकूल होने के मार्ग की खोज नहीं की? उनमें पवित्रशास्त्र के हर एक वचन का जुनून सवार हो गया था, जबकि मेरी इच्छा और मेरे कार्य के चरणों और कार्य की विधियों पर कोई भी ध्यान नहीं दिया। ये वे लोग नहीं थे जो सत्य को खोज रहे थे, बल्कि ये वे लोग थे जो कठोरता से पवित्रशास्त्र के वचनों का पालन करते थे; ये वे लोग नहीं थे जो सत्य की खोज करते थे, बल्कि ये वे लोग थे जो बाइबल में विश्वास करते थे।

शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

58. प्रभु यीशु के लौट आने के अपने अध्ययन में कुछ लोग केवल बाइबल की भविष्यवाणियों को आधार बनाते हैं, लेकिन वे परमेश्वर की वाणी को सुनने की कोशिश नहीं करते। इस चलन के साथ क्या समस्या है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
सबसे पहले, चलो हम प्रत्येक वक्तव्य को सत्यापित नहीं करते हैं। इसके बजाय, चलो हम देखते हैं कि पवित्र आत्मा कैसे कार्य करता है। चलो हम यह देखने के लिए सच्चाई के साथ तुलना करते हैं कि हम जिस मार्ग पर चलते हैं वह पवित्र आत्मा के कार्य के अनुरूप है या नहीं, और यह जाँचने के लिए कि क्या यह मार्ग सही है पवित्र आत्मा के कार्य का उपयोग करते हैं। और जहाँ तक इस वक्तव्य या उस वक्तव्य के घटित होने की बात है, हम मनुष्यों को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इसके बजाय हमारे लिए यह बेहतर है कि हम पवित्र आत्मा के कार्य और उस नवीनतम कार्य के बारे में बात करें जिसे परमेश्वर अब कर रहा है।

गुरुवार, 24 जनवरी 2019

57. परमेश्वर के कार्य और बाइबल के बीच वास्तव में क्या संबंध है? परमेश्वर का कार्य पहले आया या कि बाइबल पहले आयी?

कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख, और परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ नहीं देता है। जिस किसी ने भी बाइबल को पढ़ा है वह जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को प्रलेखित करता है। पुराना विधान इस्राएल के इतिहास और सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के अंत तक यहोवा के कार्य का कालक्रम से अभिलेखन करता है। नया विधान पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और साथ की पौलुस के कार्य को भी अभिलिखित करता है; क्या वे ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं?

बुधवार, 23 जनवरी 2019

55. बाइबल की रचना कैसे हुई? बाइबल वास्तव में किस प्रकार की किताब है?

पुराने विधान में दर्ज की गई चीजें इस्राएल में यहोवा के कार्य हैं, और जो कुछ भी नए विधान में दर्ज है वह अनुग्रह के युग के दौरान यीशु के कार्य हैं; वे दो भिन्न-भिन्न युगों में परमेश्वर के द्वारा किए गए कार्य को अभिलिखित करते हैं। पुराना विधान व्यवस्था के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य को अभिलिखित करता है, और इस प्रकार पुराना विधान एक ऐतिहासिक पुस्तक है, जबकि नया विधान अनुग्रह के युग के कार्य का उत्पाद है। जब नया कार्य आरम्भ हुआ, तो ये पुस्तकें पुरानी पड़ गईं—और इस प्रकार, नया विधान भी एक ऐतिहासिक पुस्तक है। वास्तव में, नया विधान पुराने विधान के समान सुव्यवस्थित नहीं है, न ही इसमें इतनी बातें दर्ज हैं।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "बाइबल के विषय में (1)" से

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

52. आपने कहा है कि परमेश्वर आ चुके हैं, लेकिन हम इसमें यकीन करने की हिम्मत नहीं करते क्योंकि बाइबल कहती है, "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। हम वास्तव में सच्चे मसीह को झूठे मसीहों से अलग कैसे पहचानें?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
ऐसी बात का अध्ययन करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है: जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर का सार धारण करेगा, और जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर की अभिव्यक्ति धारण करेगा। चूँकि परमेश्वर देहधारी हुआ, वह उस कार्य को प्रकट करेगा जो उसे अवश्य करना चाहिए, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया, तो वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है, और मनुष्यों के लिए सत्य को लाने में समर्थ होगा, मनुष्यों को जीवन प्रदान करने, और मनुष्य को मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस शरीर में परमेश्वर का सार नहीं है, निश्चित रूप से वह देहधारी परमेश्वर नहीं है; इस बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पता लगाने के लिए कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, मनुष्य को इसका निर्धारण उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव से और उसके द्वारा बोले वचनों से अवश्य करना चाहिए। कहने का अभिप्राय है, कि वह परमेश्वर का देहधारी शरीर है या नहीं, और यह सही मार्ग है या नहीं, इसे परमेश्वर के सार से तय करना चाहिए।

सोमवार, 21 जनवरी 2019

49. अंत के दिनों में, परमेश्वर अपना नया कार्य शुरू कर चुके हैं। ऐसा क्यों है कि जो लोग परमेश्वर के नये कार्य के साथ नहीं चल सकते और अनुग्रह के युग की किसी कलीसिया में कायम रहते हैं, वे उद्धार पाने में समर्थ नहीं हो सकते?

यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, और मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके स्वभाव, जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था, से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया। वे सब जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़ी आशीषें प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे, और सत्य, मार्ग और जीवन को प्राप्त करेंगे।

रविवार, 20 जनवरी 2019

48. यदि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य ही सच्चा मार्ग है, तो उन कलीसियाओं के एल्डर्स, पादरी और याजक इसे स्वीकार क्यों नहीं करते?

फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया, क्या तुम लोग उसका कारण जानना चाहते हो? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे ज्यादा और क्या, उन्होंने केवल इस बात पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, मगर जीवन के इस सत्य की खोज नहीं की। और इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं, क्यों उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है? तुम लोग कैसे कहते हो कि ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर के आशीष प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? वे यीशु का विरोध करते थे क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा को नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु के द्धारा कहे गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे, और, ऊपर से, क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था।

शनिवार, 19 जनवरी 2019

46. अनुग्रह के युग के छुटकारे के कार्य और राज्य के युग के न्याय के कार्य के बीच क्या फ़र्क है? उद्धार प्राप्त करने से पहले अंत के दिनों के न्याय के कार्य को स्वीकार करना किसी के लिए क्यों ज़रूरी है?

उस समय यीशु का कार्य समस्त मानव जाति का छुटकारा था। उन सभी के पापों को क्षमा कर दिया गया था जो उसमें विश्वास करते थे; जितने समय तक तुम उस पर विश्वास करते थे, उतने समय तक वह तुम्हें छुटकारा देगा; यदि तुम उस पर विश्वास करते थे, तो तुम अब और पापी नहीं थे, तुम अपने पापों से मुक्त हो गए थे। यही है बचाए जाने, और विश्वास द्वारा उचित ठहराए जाने का अर्थ। फिर भी जो विश्वास करते थे उन लोगों के बीच, वह रह गया था जो विद्रोही था और परमेश्वर का विरोधी था, और जिसे अभी भी धीरे-धीरे हटाया जाना था। उद्धार का अर्थ यह नहीं था कि मनुष्य पूरी तरह से यीशु द्वारा प्राप्त कर लिया गया था, लेकिन यह कि मनुष्य अब और पापी नहीं था, कि उसे उसके पापों से क्षमा कर दिया गया था: बशर्ते कि तुम विश्वास करते थे, तुम कभी भी अब और पापी नहीं बनोगे।

शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

45. परमेश्वर अंत के दिनों के अपने कार्य में भ्रष्ट मानवजाति को न्याय और ताड़ना क्यों देते हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"क्योंकि वह समय आ पहुँचा है कि पहले परमेश्‍वर के लोगों का न्याय किया जाए" (1 पतरस 4:17)।
"फिर मैं ने एक और स्वर्गदूत को आकाश के बीच में उड़ते हुए देखा, जिसके पास पृथ्वी पर के रहनेवालों की हर एक जाति, और कुल, और भाषा, और लोगों को सुनाने के लिये सनातन सुसमाचार था। उसने बड़े शब्द से कहा, 'परमेश्‍वर से डरो, और उसकी महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है; और उसका भजन करो, जिसने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए'" (प्रकाशितवाक्य 14:6-7)।
परमेश्वर के वचन से जवाब:
अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर पृथक करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ गया है।

बुधवार, 16 जनवरी 2019

41. परमेश्वर प्रत्येक युग में नये कार्य को क्यों क्रियान्वित करते हैं? कोई नया युग वास्तव में किन कारणों से आता है?

मेरी सम्पूर्ण प्रबन्धन योजना, ऐसी योजना जो छः हज़ार सालों तक फैली हुई है, तीन चरणों या तीन युगों को शामिल करती हैः आरंभ में व्यवस्था का युग; अनुग्रह का युग (जो छुटकारे का युग भी है); और अंत के दिनों में राज्य का युग। प्रत्येक युग की प्रकृति के अनुसार मेरा कार्य इन तीनों युगों में तत्वतः अलग-अलग है, परन्तु प्रत्येक चरण में यह मनुष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है—या बल्कि, अधिक स्पष्ट कहें तो, यह उन छलकपटों के अनुसार किया जाता है जो शैतान उस युद्ध में काम में लाता है जो मैं उसके विरुद्ध शुरू करता हूँ। मेरे कार्य का उद्धेश्य शैतान को हराना, अपनी बुद्धि और सर्वशक्तिमत्ता को व्यक्त करना, शैतान के सभी छलकपटों को उजागर करना और परिणामस्वरूप समस्त मानवजाति को बचाना है, जो उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन रहती है।

मंगलवार, 15 जनवरी 2019

38. कोई कैसे पुष्टि करे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में वापस लौटा यीशु है?

38. कोई वाकई कैसे पुष्टि करे कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटे कर आए यीशु हैं?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
सबसे पहले, वह एक नए युग का मार्ग प्रशस्त करने में समर्थ है; दूसरा, वह मनुष्य का जीवन प्रदान करने और अनुसरण करने का मार्ग मनुष्य को दिखाने में समर्थ है। यह इस बात को सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि वह परमेश्वर स्वयं है। कम से कम, जो कार्य वह करता है वह पूरी तरह से परमेश्वर का आत्मा का प्रतिनिधित्व कर सकता है, और ऐसे कार्य से यह देखा जा सकता है कि परमेश्वर का आत्मा उसके भीतर है। चूँकि देहधारी परमेश्वर के द्वारा किया गया कार्य मुख्य रूप से नए युग का सूत्रपात करना, नए कार्य की अगुआई करना और नई परिस्थितियों को पैदा करना था, इसलिए ये कुछ स्थितियाँ अकेले ही यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त हैं कि वह परमेश्वर स्वयं है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "देहधारी परमेश्वर की सेवकाई और मनुष्य के कर्तव्य के बीच अंतर" से

सोमवार, 14 जनवरी 2019

29. प्रभु यीशु ने हमें वचन दिया है कि, "जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परंतु अनंत जीवन पाये।" परमेश्वर अपनी इस बात को कैसे पूरा करेंगे?

6000 वर्षों के परमेश्वर के प्रबधंन के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है: व्यवस्था का युग, अनुग्रह का युग, और राज्य का युग। इन तीन चरणों का सम्पूर्ण कार्य मानवजाति के उद्धार के लिए है, कहने का तात्पर्य है, वे ऐसी मानवजाति के उद्धार के लिए हैं जिसे शैतान के द्वारा बुरी तरह से भ्रष्ट कर दिया गया है। फिर भी, ठीक उसी समय वे इसलिए भी हैं ताकि परमेश्वर शैतान के साथ युद्ध कर सके। इस प्रकार, जैसे उद्धार के कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है, वैसे ही शैतान के साथ युद्ध को भी तीन चरणों में बांटा गया है, और परमेश्वर के कार्य के इन दो चरणों को एक ही समय में संचालित किया जाता है।

33. बाइबल में यह कहा गया है कि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों के बीच कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया है, एकमात्र उद्धारकर्ता यीशु मसीह हैं, कल भी वे ही थे, आज भी वे ही हैं, और सदा के लिए वे ही रहेंगे। लेकिन आज आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास क्यों करते हैं?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो जय पाए उसे मैं अपने परमेश्‍वर के मन्दिर में एक खंभा बनाऊँगा, और वह फिर कभी बाहर न निकलेगा; और मैं अपने परमेश्‍वर का नाम और अपने परमेश्‍वर के नगर अर्थात् नये यरूशलेम का नाम, जो मेरे परमेश्‍वर के पास से स्वर्ग पर से उतरनेवाला है, और अपना नया नाम उस पर लिखूँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:12)।
परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर की बुद्धि, परमेश्वर की चमत्कारिकता, परमेश्वर की धार्मिकता, और परमेश्वर का प्रताप कभी नहीं बदलेंगे। उसका सार और उसका स्वरूप कभी नहीं बदलेगा। उसका कार्य, हालाँकि, हमेशा आगे प्रगति कर रहा है और हमेशा गहरा होता जा रहा है, क्योंकि वह हमेशा नया रहता है और कभी पुराना नहीं पड़ता है।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के कार्य का दर्शन (3)" से

रविवार, 13 जनवरी 2019

32. अतीत में, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का बहुत अधिक विरोध और निंदा की है और मैंने तिरस्कारपूर्ण बातें कही हैं; क्या परमेश्वर फिर भी मुझे बचायेंगे?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
परमेश्वर के उद्धार के कार्य के दौरान, जो भी बचाए जा सकते हैं, उन्हें अधिकतम सीमा तक बचाया जाएगा, उनमें से किसी को भी त्यागा नहीं जाएगा, क्योंकि परमेश्वर का कार्य का उद्देश्य मनुष्य को बचाना है। परमेश्वर द्वारा मनुष्य के उद्धार के समय के दौरान, जो लोग अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने में असमर्थ हैं, वे सभी जो पूरी तरह से परमेश्वर की आज्ञापालन करने में असमर्थ हैं, दण्ड के पात्र होंगे। कार्य का यह चरण—वचनों का कार्य—मनुष्य के लिए उन सभी तरीकों और रहस्यों को खोलता है जो उसकी समझ में नहीं आते हैं, ताकि मनुष्य परमेश्वर की इच्छा और परमेश्वर की मनुष्य से अपेक्षाओं को समझ सके, ताकि उसके पास परमेश्वर के वचनों को अभ्यास में लाने और अपने स्वभाव में परिवर्तन लाने की परिस्थिति हो।

शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

प्रभु यीशु ने अपना छुटकारे का कार्य अनुग्रह के युग में पूरा किया और अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना न्याय का कार्य करते हैं। हम यह कैसे पहचान सकते हैं कि अंत के दिनों का न्याय का कार्य और अनुग्रह के युग का छुटकारे का कार्य एक ही परमेश्वर के हैं?

यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के बीच में अपना कार्य करने के लिये देहधारी हो गया। उसका कार्य एकाकीपन में नहीं किया गया, बल्कि यहोवा के कार्य पर किया गया। यह नये युग के लिये एक कार्य था जब परमेश्वर ने व्यवस्था के युग का समापन कर दिया था। इसी प्रकार, यीशु का कार्य समाप्त हो जाने के बाद, परमेश्वर ने तब भी अगले युग के लिये अपने कार्य को जारी रखा, क्योंकि परमेश्वर का सम्पूर्ण प्रबंधन सदैव आगे बढ़ता है। जब पुराना युग बीत जाएगा, उसके स्थान पर नया युग आ जाएगा, और एक बार जब पुराना कार्य पूरा हो जाएगा, तो एक नया कार्य परमेश्वर के प्रबंधन को जारी रखेगा। यीशु के कार्य के पूरा होने के बाद यह देहधारण परमेश्वर का दूसरा देहधारण है।

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

27. हम मानते हैं कि प्रभु के कीमती रक्त ने हमें पहले ही शुद्ध कर दिया है और हम पवित्र हो चुके हैं और पाप से संबंधित नहीं हैं, इसलिए हमें शुद्धिकरण के कार्य को प्राप्त करने की कोई जरूरत नहीं है। ऐसा कहना सही क्यों नहीं है?

तुम सिर्फ यह जानते हो कि यीशु अन्तिम दिनों के दौरान आयेगा, परन्तु वास्तव में वह कैसे आयेगा? तुम जैसा पापी, जिसे बस अभी अभी छुड़ाया गया है, और परिवर्तित नहीं किया गया है, या परमेश्वर के द्वारा सिद् नहीं किया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो अभी भी पुराने मनुष्यत्व के हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और यह कि परमेश्वर के उद्धार के कारण तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुमने अपने आपको नहीं बदला है तो तुम संत के समान कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता के द्वारा घिरे हुए हो, स्वार्थी एवं कुटिल हो, फिर भी तुम चाहते हो कि यीशु के साथ आओ – तुम्हें बहुत ही भाग्यशाली होना चाहिए!

बुधवार, 9 जनवरी 2019

जब प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, तब उन्होंने कहा, "पूरा हुआ," जो यह दर्शाता है कि मानवजाति के लिए परमेश्वर का उद्धार कार्य पूरा हो चुका था। फिर आप कैसे कह सकते हैं कि परमेश्वर ने मानवजाति को बचाने के लिए न्याय और शुद्धिकरण के कार्य का अगला चरण किया है?

जब यीशु आया, तो उसने भी परमेश्वर के कार्य का एक भाग पूरा किया, और कुछ वचनों को कहा—किन्तु वह कौन सा प्रमुख कार्य था जो उसने सम्पन्न किया? उसने मुख्यरूप से जो संपन्न किया, वह था सलीब पर चढ़ने का कार्य। क्रूस पर चढ़ने का कार्य पूरा करने और समस्त मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए वह पापमय शरीर की समानता बन गया, और यह समस्त मानवजाति के पापों के वास्ते था कि उसने पापबलि के रूप में सेवा की। यही वह मुख्य कार्य है जो उसने सम्पन्न किया।
"वचन देह में प्रकट होता है" से "परमेश्वर के वचन के द्वारा सब कुछ प्राप्त हो जाता है"

मंगलवार, 8 जनवरी 2019

प्रभु में विश्वास करने के बाद हमारे पाप क्षमा कर दिये गये थे, लेकिन हम अब भी अक्सर पाप करते हैं; हम पापों के चंगुल से अंतत: कब छूट पायेंगे?

मनुष्य के पापों को देहधारी परमेश्वर के द्वारा क्षमा किया गया था, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मनुष्य के भीतर कोई पाप नहीं है। पाप बलि के माध्यम से मनुष्य के पापों को क्षमा किया जा सकता है, परन्तु मनुष्य इस मसले को हल करने में असमर्थ रहा है कि वह कैसे आगे और पाप नहीं कर सकता है और कैसे उसके पापी स्वभाव को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और उसे रूपान्तरित किया जा सकता है। परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने के कार्य की वजह से मनुष्य के पापों को क्षमा किया गया था, परन्तु मनुष्य पुराने, भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में जीवन बिताता रहा। वैसे तो, मनुष्य को भ्रष्ट शैतानी स्वभाव से अवश्य पूरी तरह से बचाया जाना चाहिए ताकि मनुष्य का पापी स्वभाव पूरी तरह से दूर किया जाए और फिर कभी विकसित न हो, इस प्रकार मनुष्य के स्वभाव को बदले जाने की अनुमति दी जाए।

सोमवार, 7 जनवरी 2019

चूंकि प्रभु यीशु और सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक ही परमेश्वर हैं, तो क्या बचाये जाने के लिए केवल यीशु में विश्वास करना काफी नहीं है?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
मनुष्य के लिए, परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने ने परमेश्वर के देहधारण के कार्य को संपन्न किया, समस्त मानव जाति को छुटकारा दिलाया, और परमेश्वर को अधोलोक की चाबी ज़ब्त करने की अनुमति दी। हर कोई सोचता है कि परमेश्वर का कार्य पूरी तरह से निष्पादित हो चुका है। वास्तविकता में, परमेश्वर के लिए, उसके कार्य का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही निष्पादित हुआ है। उसने मानव जाति को केवल छुटकारा दिलाया है; उसने मानवजाति को जीता नहीं है, मनुष्य में शैतान की कुटिलता को बदलने की बात को तो छोड़ो। यही कारण है कि परमेश्वर कहता है, "यद्यपि मेरी देहधारी देह मृत्यु की पीड़ा से गुज़री है, किन्तु वह मेरे देहधारण का पूर्ण लक्ष्य नहीं था। यीशु मेरा प्यारा पुत्र है और उसे मेरे लिए सलीब पर चढ़ाया गया था, किन्तु उसने मेरे कार्य का पूरी तरह से समापन नहीं किया।

रविवार, 6 जनवरी 2019

यदि मुझे प्रभु यीशु में पहले से विश्वास है, तो मुझे उद्धार प्राप्त करने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास क्यों करना होगा?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, और मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके स्वभाव, जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था, से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया। वे सब जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़ी आशीषें प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे, और सत्य, मार्ग और जीवन को प्राप्त करेंगे।

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