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सोमवार, 20 मई 2019

बदली नहीं हैं परमेश्वर की उम्मीदें इंसान के लिये



  • बदली नहीं हैं परमेश्वर की उम्मीदें इंसान के लिये
  •  
  • I
  • जब इसहाक को पेश किया बलिदान के लिये अब्राहम ने,
  • तो देखी परमेश्वर ने आज्ञाकारिता और ईमानदारी उसकी,
  • कामयाब रहा वो परमेश्वर के इम्तहान में।
  • परमेश्वर का विश्वासपात्र बनने, उसे जानने की योग्यता से
  • अभी भी दूर था मगर वो।

रविवार, 19 मई 2019

परमेश्वर उन्हें आशीष देता है जो ईमानदार हैं




  • परमेश्वर उन्हें आशीष देता है जो ईमानदार हैं
  •  
  • I
  • जब तुम ईश्वर को देते हो दिल और उसे धोखा नहीं देते हो,
  • जब तुम खुद से ऊँचे या नीचे लोगों को कभी नहीं छलते हो,
  • जब ईश्वर के प्रति साफ़दिल हो सब चीज़ों में,
  • जब तुम ईश्वर की चापलूसी वाले काम न करो,
  • है ये बनना ईमानदार।

शनिवार, 18 मई 2019

सभी चीज़ें हैं प्रकटीकरण सृष्टिकर्ता के अधिकार का




  • सभी चीज़ें हैं प्रकटीकरण सृष्टिकर्ता के अधिकार का
  •  
  • I
  • इस नये जहाँ में, मानवता से भी पहले,
  • सृष्टिकर्ता ने बनाया सांझ-सवेरा।
  • आकाश, धरती और सागर बनाये,
  • और बनाये घास-फूस, पेड़-पौधे सारे।
  • दिन और साल, मौसम और प्रकाश बनाये उसने
  • उस नये जीवन के लिए, जो थे जल्द ही रचे जाने वाले।

शुक्रवार, 17 मई 2019

परमेश्वर का कार्य कितना कठिन है




  • परमेश्वर का कार्य कितना कठिन है
  •  
  • I
  • पृथ्वी पर ईश्वर के कार्य के चरणों में बड़ी कठिनाई है।
  • मानव की कमज़ोरी, कमियाँ, अज्ञानता,
  • मानव का बचपना और मानव का सब कुछ
  • ईश्वर द्वारा ध्यान से योजनाबद्ध और विचार किया गया है।
  • मानव जैसे काग़ज़ी बाघ है, कोई उसे उकसाने की हिम्मत नहीं करता।

गुरुवार, 16 मई 2019

जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं





  • जो सत्य नहीं स्वीकारते वे उद्धार के लायक नहीं हैं
  •  
  • I
  • सत्य और जीवन के वचनों को सुनते हुए,
  • शायद तुम सोचो कि इन हजारों वचनों में से,
  • बाइबल और तुम्हारे विचारों से,
  • बस एक ही वचन मेल खाता है,
  • इस दस हजारवें वचन में खोजते रहो।
  • परमेश्वर सलाह देता है,
  • विनम्र बनो, न बनो अति-आत्मविश्वासी
  • स्वयं को ऊँचा न उठाओ।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • II
  • परमेश्वर के प्रति ऐसी थोड़ी सी श्रद्धा रख कर भी,
  • तुम पाओगे रोशनी बड़ी, रोशनी बड़ी।
  • जो इन वचनों पर मनन करोगे,
  • तुम देख पाओगे कि ये सत्य और जीवन हैं या नहीं।
  • अंत के दिनों में झूठे मसीहाओं के कारण
  • कहीं भटक न जाओ इस डर से,
  • पवित्रात्मा की ईशनिंदा न करो।
  • III
  • बहुत खोजने और जाँचने के बाद भी,
  • अगर लगता है तुम्हें अभी भी
  • कि ये वचन परमेश्वर की अभिव्यक्ति,
  • या सत्य और जीवन नहीं,
  • तो रहोगे तुम बिन आशीष के,
  • दंडित किये जाओगे निश्चय ही, निश्चय ही।
  • जो तुम साफ़ कहे गये सत्य को स्वीकार न कर पाओ
  • तो क्या तुम परमेश्वर के उद्धार के अयोग्य नहीं?
  • परमेश्वर के सिंहासन के आगे लौट न पाओ,
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  • क्या तुम ऐसे बदकिस्मत नहीं?
  •  
  • "वचन देह में प्रकट होता है" से


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