घर

मसीह लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
मसीह लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 29 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "जब परमेश्वर की बात आती है, तो तुम्हारी समझ क्या होती है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "जब परमेश्वर की बात आती है, तो तुम्हारी समझ क्या होती है" 

       सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर न केवल पवित्रात्मा, वह आत्मा, सात गुना तीव्र पवित्रात्मा, सर्व-व्यापी पवित्रात्मा है, बल्कि एक व्यक्ति, एक साधारण व्यक्ति, अपवादात्मक रूप से एक सामान्य व्यक्ति भी है। वह न सिर्फ़ नर, बल्कि नारी भी है। वे इस बात में एक समान हैं कि वे दोनों ही मानवों से जन्मे हैं, और इस बात पर असमान हैं कि एक का पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भधारण किया गया है और दूसरा, मानव से जन्मा है, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से पवित्रात्मा से ही उत्पन्न है। वे इस बात में एक समान हैं कि परमेश्वर के दोनों देहधारी देह परमपिता परमेश्वर पिता का कार्य करते हैं और इस बात में असमान हैं कि एक तो छुटकारे का कार्य करता है और दूसरा जीतने का कार्य करता है। दोनों परमेश्वर पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं, परन्तु एक छुटकारे का प्रभु है जो करुणा और दया से भरा हुआ है और दूसरा धार्मिकता का परमेश्वर है जो क्रोध और न्याय से भरा हुआ है। एक छुटकारे के कार्य को शुरू करने के लिए सर्वोच्च सेनापति है और दूसरा जीतने के कार्य को पूरा करने के लिए धार्मिक परमेश्वर है। एक आरम्भ है और दूसरा अंत है। एक निष्पाप देह है, दूसरा वह देह है जो छुटकारे को पूरा करता है, कार्य को जारी रखता है और कभी भी पाप का नहीं है। दोनों एकही पवित्रात्मा हैं, परन्तु वे भिन्न-भिन्न देहों में निवास करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों में पैदा हुए हैं। और वे कई हज़ार वर्षों द्वारा पृथक्कृत हैं। फिर भी उनका सम्पूर्ण कार्य पारस्परिक रूप से पूरक है, कभी भी विरोधाभासी नहीं है, और एकही साँस में बोला जा सकता है। दोनों ही लोग हैं, परन्तु एक बालक शिशु है और दूसरी एक नवजात बालिका है।" 

बुधवार, 6 फ़रवरी 2019

31. मैं मसीह को देखने के अयोग्य हूँ

31. मैं मसीह को देखने के अयोग्य हूँ

हुआनबाओ डैलिआन शहर, लिआओनिंग प्रांत
जब से मैंने सबसे पहले सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करना आरंभ किया, तब से मैं उन भाइयों और बहनों की हमेशा सराहना करता था जो मसीह की व्यक्तिगत सेवकाई हासिल कर सकते हैं, जो अपने स्वयं के कानों से उसके धर्मोपदेशों को सुन सकते हैं। अपने दिल में, मैं सोचता कि अगर भविष्य में एक दिन मैं मसीह के धर्मोपदेशों को सुन सकूँ तो यह कितना अद्भुत होगा, निस्संदेह उसे देखना तो और भी अधिक अद्भुत होगा। लेकिन बाद में, उसकी संगति को सुनकर, मुझे मेरे दिल की गहराई से यह महसूस होने लगा है कि मैं मसीह को देखने के योग्य नहीं हूँ।
ऐसा तब हुआ था जब जीवन में प्रवेश पर उपदेश और वार्तालाप किताब 1-3 जारी की गई थीं। जब मैंने पहली किताब को सुना, तो मुझे लगा कि पवित्र आत्मा द्वारा उपयोग किए गए मनुष्य ने बहुत अच्छा कहा है।

मंगलवार, 22 जनवरी 2019

52. आपने कहा है कि परमेश्वर आ चुके हैं, लेकिन हम इसमें यकीन करने की हिम्मत नहीं करते क्योंकि बाइबल कहती है, "उस समय यदि कोई तुम से कहे, 'देखो, मसीह यहाँ है!' या 'वहाँ है!' तो विश्‍वास न करना। "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:23-24)। हम वास्तव में सच्चे मसीह को झूठे मसीहों से अलग कैसे पहचानें?

परमेश्वर के वचन से जवाब:
ऐसी बात का अध्ययन करना कठिन नहीं है, परंतु इसके लिए हममें से प्रत्येक को इस सत्य को जानने की ज़रूरत है: जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर का सार धारण करेगा, और जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर की अभिव्यक्ति धारण करेगा। चूँकि परमेश्वर देहधारी हुआ, वह उस कार्य को प्रकट करेगा जो उसे अवश्य करना चाहिए, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया, तो वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है, और मनुष्यों के लिए सत्य को लाने में समर्थ होगा, मनुष्यों को जीवन प्रदान करने, और मनुष्य को मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस शरीर में परमेश्वर का सार नहीं है, निश्चित रूप से वह देहधारी परमेश्वर नहीं है; इस बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पता लगाने के लिए कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, मनुष्य को इसका निर्धारण उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव से और उसके द्वारा बोले वचनों से अवश्य करना चाहिए। कहने का अभिप्राय है, कि वह परमेश्वर का देहधारी शरीर है या नहीं, और यह सही मार्ग है या नहीं, इसे परमेश्वर के सार से तय करना चाहिए।

गुरुवार, 6 दिसंबर 2018

तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?

3. तुम सच्चे मसीह और झूठे मसीहों के बीच अंतर को कैसे बता सकते हो?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
परमेश्वर देहधारी हुआ और मसीह कहलाया, और इसलिए वह मसीह, जो लोगों को सत्य दे सकता है, परमेश्वर कहलाता है। इसमें कुछ भी अतिशयोक्ति नहीं है, क्योंकि वह परमेश्वर के तत्व को स्वयं में धारण किए रहता है, और अपने कार्य में परमेश्वर के स्वभाव और बुद्धि को धारण करता है, और ये चीजें मनुष्य के लिये अप्राप्य हैं। जो अपने आप को मसीह कहते हैं, फिर भी परमेश्वर का कार्य नहीं कर सकते, वे सभी धोखेबाज़ हैं। मसीह पृथ्वी पर केवल परमेश्वर की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि वह देह है जिसे धारण करके परमेश्वर लोगों के बीच रहकर कार्य पूर्ण करता है।

शनिवार, 24 नवंबर 2018

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य,मसीह,सत्य,परमेश्वर

IX. मसीह स्वयं परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति है, इस बारे में हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

3. मसीह द्वारा व्यक्त किए गए सत्य को न मानने वाली मानवीय समस्या की प्रकृति क्या है? मनुष्य का मसीह को परमेश्वर के रूप में नहीं मानने का क्या परिणाम है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो आत्मा मान लेती है कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया है वह परमेश्‍वर की ओर से है, और जो आत्मा यीशु को नहीं मानती, वह परमेश्‍वर की ओर से नहीं; और वही तो मसीह के विरोधी की आत्मा है" (1यूहन्ना 4:2-3)।
"क्योंकि बहुत से ऐसे भरमानेवाले जगत में निकल आए हैं, जो यह नहीं मानते कि यीशु मसीह शरीर में होकर आया; भरमानेवाला और मसीह-विरोधी यही है" (2यूहन्ना 1:7)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
चूँकि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें परमेश्वर के सभी वचनों और उसके सभी कार्यों में विश्वास अवश्य रखना चाहिए। अर्थात्, चूँकि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें आज्ञापालन अवश्य करना चाहिए। यदि तुम ऐसा करने में असमर्थ हो, तो यह मायने नहीं रखता है कि तुम परमेश्वर पर विश्वास करते हो या नहीं। यदि तुमने वर्षों तक परमेश्वर पर विश्वास किया है, फिर भी कभी भी उसका आज्ञापालन नहीं किया है या उसके सभी वचनों को स्वीकार नहीं किया है, बल्कि उसके बजाए परमेश्वर से समर्पण करने को और तुम्हारी अवधारणाओं के अनुसार कार्य करने को कहा है, तो तुम सब से अधिक विद्रोही व्यक्ति हो, और तुम एक अविश्वासी हो।

शुक्रवार, 23 नवंबर 2018

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य,मसीह,परमेश्वर

IX. मसीह स्वयं परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति है, इस बारे में हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

2. क्या मसीह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है या वह खुद ही परमेश्वर है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"फिलिप्पुस ने उससे कहा, 'हे प्रभु, पिता को हमें दिखा दे, यही हमारे लिये बहुत है।' यीशु ने उससे कहा, 'हे फिलिप्पुस, मैं इतने दिन से तुम्हारे साथ हूँ, और क्या तू मुझे नहीं जानता? जिसने मुझे देखा है उसने पिता को देखा है। तू क्यों कहता है कि पिता को हमें दिखा? क्या तू विश्‍वास नहीं करता कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:8-11)।
"मैं और पिता एक हैं" (यूहन्ना 10:30)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है, तथा मसीह परमेश्वर के आत्मा के द्वारा धारण किया गया देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है बल्कि आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण परमेश्वरत्व दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती है। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियों को बनाए रखती है, जबकि दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य करती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति समर्पित हैं।

गुरुवार, 22 नवंबर 2018

1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?


IX. मसीह स्वयं परमेश्वर की ही अभिव्यक्ति है, इस बारे में हर किसी को स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

1. मसीह के दिव्य तत्व को कोई कैसे जान सकता है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"यीशु ने उससे कहा, 'मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ' 'ये बातें जो मैं तुम से कहता हूँ, अपनी ओर से नहीं कहता, परन्तु पिता मुझ में रहकर अपने काम करता है। मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है; नहीं तो कामों ही के कारण मेरा विश्‍वास करो'" (यूहन्ना 14:6, 10-11)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
ऐसी बात का अध्ययन करना कठिन नहीं है, परंतु हम में से प्रत्येक के लिए इस सत्य को जानने की अपेक्षा की जाती है: जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर का सार धारण करेगा, और जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर की अभिव्यक्ति धारण करेगा। चूँकि परमेश्वर देहधारी हुआ, वह उस कार्य को प्रकट करेगा जो उसे अवश्य करना चाहिए, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया, तो वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है, और मनुष्यों के लिए सत्य को लाने के समर्थ होगा, मनुष्यों को जीवन प्रदान करने, और मनुष्य को मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस शरीर में परमेश्वर का सार नहीं है, निश्चित रूप से वह देहधारी परमेश्वर नहीं है; इस बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पता लगाने के लिए कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, मनुष्य को इसका निर्धारण उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव से और उसके द्वारा बोले वचनों से अवश्य करना चाहिए।

बुधवार, 21 नवंबर 2018

4. जो भी परमेश्वर में विश्वास करता है, उन्हें झूठे चरवाहों और मसीह-शत्रुओं को पहचानने में सक्षम होना चाहिए ताकि वह धर्म को त्याग कर परमेश्वर की ओर लौट सके।

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, अवतरण, मसीह,

VIII. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच अंतर से सम्बंधित सच्चाई पर हर किसी को स्पष्ट रूप से अवश्य ही सहभागिता करनी चाहिए

4. जो भी परमेश्वर में विश्वास करता है, उन्हें झूठे चरवाहों और मसीह-शत्रुओं को पहचानने में सक्षम होना चाहिए ताकि वह धर्म को त्याग कर परमेश्वर की ओर लौट सके।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"परमेश्‍वर यहोवा यों कहता है: हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है" (यहेजकेल 34:2-4)।
"झूठे भविष्यद्वक्‍ताओं से सावधान रहो, जो भेड़ों के भेस में तुम्हारे पास आते हैं, परन्तु अन्तर में वे फाड़नेवाले भेड़िए हैं" (मत्ती 7:15)।
"वे अंधे मार्गदर्शक हैं और अंधा यदि अंधे को मार्ग दिखाए, तो दोनों ही गड़हे में गिर पड़ेंगे" (मत्ती 15:14)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
एक अयोग्य कार्यकर्ता का कार्य अधूरा होता है; उसका कार्य मूर्खतापूर्ण होता है। वह केवल लोगों को नियमों के अंतर्गत ला सकता है; वह लोगों से जो मांग करता है वह एक व्यक्ति से लेकर दूसरे व्यक्ति तक भिन्न नहीं होता है; वह लोगों की वास्तविक आवश्यकताओं के अनुसार कार्य नहीं कर सकता है।

मंगलवार, 20 नवंबर 2018

3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, अवतरण, मसीह,

VIII. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच अंतर से सम्बंधित सच्चाई पर हर किसी को स्पष्ट रूप से अवश्य ही सहभागिता करनी चाहिए

3. हर व्यक्ति को देहधारी मसीह और झूठे मसीहों/झूठे भविष्यद्वक्ताओं के बीच रहे अंतर को अवश्य पहचानना चाहिए।
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें" (मत्ती 24:24)।
"मार्ग और सत्य और जीवन मैं ही हूँ" (यूहन्ना 14:6)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर का सार धारण करेगा, और जो देहधारी परमेश्वर है, वह परमेश्वर की अभिव्यक्ति धारण करेगा। चूँकि परमेश्वर देहधारी हुआ, वह उस कार्य को प्रकट करेगा जो उसे अवश्य करना चाहिए, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया, तो वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है, और मनुष्यों के लिए सत्य को लाने के समर्थ होगा, मनुष्यों को जीवन प्रदान करने, और मनुष्य को मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस शरीर में परमेश्वर का सार नहीं है, निश्चित रूप से वह देहधारी परमेश्वर नहीं है; इस बारे में कोई संदेह नहीं है। यह पता लगाने के लिए कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, मनुष्य को इसका निर्धारण उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव से और उसके द्वारा बोले वचनों से अवश्य करना चाहिए।

शनिवार, 29 सितंबर 2018

भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है

भ्रष्ट मानवजाति को देह धारण किए हुए परमेश्वर के उद्धार की अत्यधिक आवश्यकता है

परमेश्वर ने देहधारण किया क्योंकि शैतान का आत्मा, या कोई अभौतिक चीज़ उसके कार्य का विषय नहीं है, परन्तु मनुष्य है, जो शरीर से बना है और जिसे शैतान के द्वारा भ्रष्ट किया गया है। निश्चित रूप से चूँकि मनुष्य की देह को भ्रष्ट किया गया है इसलिए परमेश्वर ने हाड़-मांस के मनुष्य को अपने कार्य का विषय बनाया है; इसके अतिरिक्त, क्योंकि मनुष्य भ्रष्टता का विषय है, उसने मनुष्य को अपने उद्धार के कार्य के समस्त चरणों के दौरान अपने कार्य का एकमात्र विषय बनाया है। मनुष्य एक नश्वर प्राणी है, और वह हाड़-मांस एवं लहू से बना हुआ है, और एकमात्र परमेश्वर ही है जो मनुष्य को बचा सकता है। इस रीति से, परमेश्वर को अपना कार्य करने के लिए ऐसा देह बनना होगा जो मनुष्य के समान ही गुणों को धारण करता है, ताकि उसका कार्य बेहतर प्रभावों को हासिल कर सके।

शुक्रवार, 28 सितंबर 2018

मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है

मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है

अंत के दिनों का कार्य, सभी को उनके स्वभाव के आधार पर पृथक करना, परमेश्वर की प्रबंधन योजना का समापन करना है, क्योंकि समय निकट है और परमेश्वर का दिन आ गया है। परमेश्वर उन सभी को जिन्होंने उसके राज्य में प्रवेश कर लिया है अर्थात्, वे सभी लोग जो अंत तक उसके वफादार रहे हैं, स्वयं परमेश्वर के युग में ले जाता है। हालाँकि, जब तक स्वयं परमेश्वर का युग नहीं आ जाता है तब तक परमेश्वर जो कार्य करेगा वह मनुष्य के कर्मों को देखना या मनुष्य जीवन के बारे में पूछताछ करना नहीं, बल्कि उनके विद्रोह का न्याय करना है, क्योंकि परमेश्वर उन सभी को शुद्ध करेगा जो उसके सिंहासन के सामने आते हैं।

मंगलवार, 18 सितंबर 2018

2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, परमेश्वर को जानना, मसीह, यीशु
II. मानव जाति के उद्धार के लिए परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के बारे में सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य गवाही देनी चाहिए
2. परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों में से प्रत्येक के उद्देश्य और महत्व को जानना।
(1) व्यवस्था के युग में परमेश्वर के कार्य का उद्देश्य और महत्व
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
वह कार्य जो यहोवा ने इस्राएलियों पर किया, उसने मानवजाति के बीच पृथ्वी पर परमेश्वर के मूल स्थान को स्थापित किया जो कि वह पवित्र स्थान भी था जहाँ वह उपस्थित रहता था। उसने अपने कार्य को इस्राएल के लोगों तक ही सीमित रखा। आरम्भ में, उसने इस्राएल के बाहर कार्य नहीं किया; उसके बजाए, उसने ऐसे लोगों को चुना जिन्हें उसने अपने कार्यक्षेत्र को सीमित रखने के लिए उचित पाया।

शनिवार, 18 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर सम्पूर्ण सृष्टि का प्रभु है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर सम्पूर्ण सृष्टि का प्रभु है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "वास्तव में, परमेश्वर सभी वस्तुओं का स्वामी है। वह सम्पूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है। वह न केवल इस्राएलियों का परमेश्वर है, और वह न केवल यहूदियों का परमेश्वर है; वह सम्पूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है।

शनिवार, 4 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग एक)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग एक)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जब एक बार विजय के कार्य को पूरा कर लिया जाता है, तब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में पहुंचाया जाएगा।

गुरुवार, 2 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग तीन)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक बेहतरीन मंज़िल पर ले चलना" (भाग तीन)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जब एक बार विजय के कार्य को पूरा कर लिया जाता है, तब मनुष्य को एक सुन्दर संसार में पहुंचाया जाएगा। निश्चित रूप से, यह जीवन तब भी पृथ्वी पर ही होगा, परन्तु यह मनुष्य के आज के जीवन से पूरी तरह से भिन्न होगा।

बुधवार, 1 अगस्त 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "भ्रष्ट मनुष्य परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में अक्षम है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "भ्रष्ट मनुष्य परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने में अक्षम है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "शैतान के समस्त कार्य और कर्म मनुष्य में व्यक्त होते हैं। अब मनुष्य के समस्त कार्य और कर्म शैतान की अभिव्यक्ति हैं और इसलिए परमेश्वर का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं। मनुष्य शैतान का मूर्त रूप है, और मनुष्य का स्वभाव परमेश्वर के स्वभाव का प्रतिनिधित्व करने में असमर्थ है।

सोमवार, 30 जुलाई 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर पर विश्वास करना वास्तविकता पर केंद्रित होना चाहिए, न कि धार्मिक रीति-रिवाजों पर"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "कुछ लोगों में अपनी ओर ध्यान खींचने की विशेष प्रवृत्ति होती है। अपने भाई-बहनों की उपस्थिति में, वह कहता है कि वह परमेश्वर के प्रति कृतज्ञ है, परंतु उनकी पीठ पीछे, वह सत्य का अभ्यास नहीं करता है और पूरी तरह से अन्यथा करता है।

रविवार, 29 जुलाई 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग तीन)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग तीन)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक उदाहरण में ऐसे दर्शन हैं जिन्हें मनुष्य के द्वारा पहचाना जाना चाहिए, ऐसे दर्शन जिनका अनुसरण मनुष्य के प्रति परमेश्वर की उचित अपेक्षाओं के द्वारा किया जाता है।

शनिवार, 28 जुलाई 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग दो)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर का कार्य एवं मनुष्य का रीति व्यवहार" (भाग दो)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर के कार्य के प्रत्येक उदाहरण में ऐसे दर्शन हैं जिन्हें मनुष्य के द्वारा पहचाना जाना चाहिए, ऐसे दर्शन जिनका अनुसरण मनुष्य के प्रति परमेश्वर की उचित अपेक्षाओं के द्वारा किया जाता है। बुनियाद के रूप में इन दर्शनों के बिना, मनुष्य साधारण तौर पर रीति व्यवहार में असमर्थ होगा, और न ही मनुष्य बिना लड़खड़ाए परमेश्वर का अनुसरण करने के योग्य होगा।

गुरुवार, 26 जुलाई 2018

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "छुटकारे के युग में कार्य के पीछे की सच्ची कहानी"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "अनुग्रह के युग में, मनुष्य पहले से ही शैतान की भ्रष्टता से गुज़र चुका था, और इसलिए समस्त मानवजाति को छुटकारा देने के कार्य हेतु,

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते है...