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सोमवार, 29 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "जब परमेश्वर की बात आती है, तो तुम्हारी समझ क्या होती है"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "जब परमेश्वर की बात आती है, तो तुम्हारी समझ क्या होती है" 

       सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर न केवल पवित्रात्मा, वह आत्मा, सात गुना तीव्र पवित्रात्मा, सर्व-व्यापी पवित्रात्मा है, बल्कि एक व्यक्ति, एक साधारण व्यक्ति, अपवादात्मक रूप से एक सामान्य व्यक्ति भी है। वह न सिर्फ़ नर, बल्कि नारी भी है। वे इस बात में एक समान हैं कि वे दोनों ही मानवों से जन्मे हैं, और इस बात पर असमान हैं कि एक का पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भधारण किया गया है और दूसरा, मानव से जन्मा है, परन्तु प्रत्यक्ष रूप से पवित्रात्मा से ही उत्पन्न है। वे इस बात में एक समान हैं कि परमेश्वर के दोनों देहधारी देह परमपिता परमेश्वर पिता का कार्य करते हैं और इस बात में असमान हैं कि एक तो छुटकारे का कार्य करता है और दूसरा जीतने का कार्य करता है। दोनों परमेश्वर पिता का प्रतिनिधित्व करते हैं, परन्तु एक छुटकारे का प्रभु है जो करुणा और दया से भरा हुआ है और दूसरा धार्मिकता का परमेश्वर है जो क्रोध और न्याय से भरा हुआ है। एक छुटकारे के कार्य को शुरू करने के लिए सर्वोच्च सेनापति है और दूसरा जीतने के कार्य को पूरा करने के लिए धार्मिक परमेश्वर है। एक आरम्भ है और दूसरा अंत है। एक निष्पाप देह है, दूसरा वह देह है जो छुटकारे को पूरा करता है, कार्य को जारी रखता है और कभी भी पाप का नहीं है। दोनों एकही पवित्रात्मा हैं, परन्तु वे भिन्न-भिन्न देहों में निवास करते हैं और भिन्न-भिन्न स्थानों में पैदा हुए हैं। और वे कई हज़ार वर्षों द्वारा पृथक्कृत हैं। फिर भी उनका सम्पूर्ण कार्य पारस्परिक रूप से पूरक है, कभी भी विरोधाभासी नहीं है, और एकही साँस में बोला जा सकता है। दोनों ही लोग हैं, परन्तु एक बालक शिशु है और दूसरी एक नवजात बालिका है।" 

रविवार, 28 अप्रैल 2019

पवित्र आत्मा के वचन "तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है"

पवित्र आत्मा के वचन "तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर में विश्वास करना इतना आसान नहीं है जैसा कि मनुष्य कह सकता है। जैसे कि परमेश्वर इसे देखता है, यदि तुम्हारे पास सिर्फ़ ज्ञान है किन्तु जीवन के रूप में उसका वचन नहीं है; यदि तुम सिर्फ़ अपने स्वयं के ज्ञान तक ही सीमित हो परन्तु सत्य का अभ्यास नहीं कर सकते हो या परमेश्वर के वचन को जी नहीं सकते हो, तो तब भी यह प्रमाण है कि तुम्हारे पास परमेश्वर को प्रेम करने वाला हृदय नहीं है, और दर्शाता है कि तुम्हारा हृदय परमेश्वर से संबंधित नहीं है। परमेश्वर में विश्वास करके उसे जान लेना; यह अंतिम लक्ष्य है और जिसे मनुष्य को खोजना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के वचनों को जीने के लिए प्रयास समर्पित अवश्य करने चाहिए ताकि वे तुम्हारे अभ्यास में महसूस किए जा सकें। यदि तुम्हारे पास सिर्फ़ सैद्धांतिक ज्ञान है, तो परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास बेकार हो जाएगा। तब यदि तुम सिर्फ़ इसे अभ्यास में लाते हो और उसके वचन को जीते हो तभी तुम्हारा विश्वास पूर्ण और परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप माना जाएगा।"

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

पवित्र आत्मा का वचन "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है"

पवित्र आत्मा का वचन "एक अपरिवर्तित स्वभाव का होना परमेश्वर के साथ शत्रुता होना है"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "मनुष्य का स्वभाव उसके सार के ज्ञान की शुरुआत से बदल जाना चाहिए और उसकी सोच, स्वभाव, और मानसिक दृष्टिकोण के बदल जाने से—मौलिक परिवर्तन के द्वारा। केवल इसी ढंग से मनुष्य के स्वभाव में सच्चे बदलाव आ सकेंगे। मनुष्य का भ्रष्ट स्वभाव शैतान के द्वारा उसे जहर देने और रौंदे जाने के कारण उपजा है, उस प्रबल नुकसान से जिसे शैतान ने उसकी सोच नैतिकता, अंतर्दृष्टि, और समझ पर पहुँचाया है। यह ठीक है क्योंकि मनुष्य की मौलिक चीजें शैतान के द्वारा भ्रष्ट कर दी गईं हैं, और पूरी तरह से उसके विपरीत है जैसे परमेश्वर ने उन्हें मूल रूप से बनाया था, कि मनुष्य परमेश्वर का विरोध करता है और सत्य को नहीं समझता। इस प्रकार, मनुष्य के स्वभाव में बदलाव उसकी सोच, अंतर्दृष्टि और समझ में बदलाव के साथ शुरू होना चाहिए जो परमेश्वर के बारे में उसके ज्ञान को और सत्य के बारे में उसके ज्ञान को बदलेगा।"

शनिवार, 20 अप्रैल 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे सब जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं वे ही परमेश्वर का विरोध करते हैं"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "वे सब जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं वे ही परमेश्वर का विरोध करते हैं"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जिन्हें मैं कहता हूँ कि वे परमेश्वर के विरोध में हैं ये वे लोग हैं जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे लोग हैं जो निरर्थक वचनों से परमेश्वर को स्वीकार करते हैं मगर परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे लोग हैं जो परमेश्वर का अनुसरण करते हैं मगर उनकी आज्ञा का पालन नहीं करते हैं, और वे लोग हैं जो परमेश्वर के अनुग्रह में आनंद करते हैं मगर उनकी गवाही नहीं दे सकते हैं। परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य, और मनुष्य में उसके काम को समझे बिना मनुष्य परमेश्वर के हृदय के अनुरूप नहीं हो सकता है, और परमेश्वर की गवाही नहीं दे सकता है। मनुष्य के द्वारा परमेश्वर का विरोध करने का कारण, एक ओर मनुष्य के भ्रष्ट स्वभाव से, और दूसरी ओर, परमेश्वर के प्रति अज्ञानता और परमेश्वर के कार्य के सिद्धांतों की और मनुष्य के प्रति उनकी इच्छा की समझ की कमी से उत्पन्न होता है। इन दोनों पहलुओं का, परमेश्वर के प्रति मनुष्य के प्रतिरोध के इतिहास में विलय होता है।"

अनुशंसित:Hindi Christian Movie

बुधवार, 10 अप्रैल 2019

Hindi Christian Movie | जोखिम भरा है मार्ग स्वर्ग के राज्य का | How God Makes a Group of Overcomers?

There are indeed different prophecies about the Lord’s return, if I just hold onto one part of them, I'll easily walk the wrong way… thank the Lord for the enlightenment!

Hindi Christian Movie | जोखिम भरा है मार्ग स्वर्ग के राज्य का | How God Makes a Group of Overcomers?

     ईसाई झोंग ज़िन चीन की मुख्यभूमि की एक गृह कलीसिया का उपदेशक है। वह सच्‍चे मार्ग की जाँच करने और यह निर्धारित करने के लिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही प्रभु यीशु की वापसी हैं, अपने भाई-बहनों की अगुआई करता है। हालाँकि कुछ लोग सीसीपी सरकार के और धार्मिक मण्डलियों के लोगों के पागलों की तरह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के विरोध और उसकी निंदा को देख कर घबरा जाते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों को पढ़कर, और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के गवाहों की संगति को सुनकर, वे मानव जाति के परमेश्‍वर की अवज्ञा करने के मूल कारणों को समझ जाते हैं, वे स्पष्ट रूप से देखते हैं कि स्‍वर्ग के राज्‍य का मार्ग इतनी कठिनाइयों से भरा हुआ क्‍यों है, और उनमें सीसीपी की शैतानी सत्‍ता और धार्मिक जगत के अगुआओं के सत्‍य से घृणा करने वाले, परमेश्‍वर विरोधी सार के बारे में विवेक आ जाता है। अंत में, झोंग ज़िन जैसे लोगों ने सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के राज्‍य के सुसमाचार को दृढ़तापूर्वक स्‍वीकार कर लिया है।

सोमवार, 24 दिसंबर 2018

परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?

5. परमेश्वर में सच्चा विश्वास वास्तव में क्या है? किसी को परमेश्वर में कैसे विश्वास करना चाहिए कि वह परमेश्वर से प्रशंसा प्राप्त कर सके?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं। लोग परमेश्वर पर विश्वास करने को गंभीरता से नहीं लेते हैं, क्योंकि परमेश्वर पर विश्वास करना उनके लिये अत्यधिक अनजाना और अजीब है। इस प्रकार, वे परमेश्वर की माँग से कम पड़ते हैं।

शुक्रवार, 14 दिसंबर 2018

पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

4. पवित्र शिष्टता जो परमेश्वर के विश्वासियों को धारण करनी चाहिए

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
वचनों का आज्ञापालन करता था। वह स्वभाविक रूप से सही समझ और सद्विवेक का था, और सामान्य मानवता का था। शैतान के द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, उसकी मूल समझ, सद्विवेक, और मानवता मंदी हो गईं और शैतान के द्वारा खराब हो गईं। इस प्रकार, उसने परमेश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता और प्रेम को खो दिया है। मनुष्य की समझ धर्मपथ से हट गई है, उसकी समझ एक जानवर के समान हो गई है, और परमेश्वर के प्रति उसकी विद्रोहशीलता और भी अधिक लगातार और गंभीर हो गई है। अभी तक मनुष्य इसे न तो जानता है और न ही पहचानता है, और केवल आँख बंद करके विरोध और विद्रोह करता है।

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

बचाए जाने एवं सिद्ध बनाए जाने के लिए तुम्हें परमेश्वर पर किस प्रकार विश्वास करना चाहिए?

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

5. बचाए जाने एवं सिद्ध बनाए जाने के लिए तुम्हें परमेश्वर पर किस प्रकार विश्वास करना चाहिए?
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि बहुत से लोग परमेश्वर पर विश्वास करते हैं, किंतु बहुत कम लोग समझते हैं कि परमेश्वर पर विश्वास करने का अर्थ क्या है, और परमेश्वर के मन के अनुरूप बनने के लिये उन्हें क्या करना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि यद्यपि लोग "परमेश्वर" शब्द और "परमेश्वर का कार्य" जैसे वाक्यांश से परिचित हैं, किंतु वे परमेश्वर को नहीं जानते हैं, और उससे भी कम वे उसके कार्य को जानते हैं। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि तब वे सभी जो परमेश्वर को नहीं जानते हैं, वे दुविधायुक्त विश्वास रखते हैं। लोग परमेश्वर पर विश्वास करने को गंभीरता से नहीं लेते हैं, क्योंकि परमेश्वर पर विश्वास करना उनके लिये अत्यधिक अनजाना और अजीब है। इस प्रकार, वे परमेश्वर की माँग से कम पड़ते हैं।

बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

ऐसा क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है?

अध्याय 3 तुम्हें परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों की सच्चाईयों के बारे में अवश्य जानना चाहिए?

5. ऐसा क्यों कहा जाता है कि परमेश्वर के कार्य के तीनों चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है?
(परमेश्वर के वचन का चुना गया अवतरण)

परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है

मानवजाति के प्रबंधन करने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है, जिसका अर्थ यह है कि मानवजाति को बचाने के कार्य को तीन चरणों में बाँटा जाता है। इन चरणों में संसार की रचना का कार्य समाविष्ट नहीं है, बल्कि ये व्यवस्था के युग, अनुग्रह के युग और राज्य के युग के कार्य के तीन चरण हैं। संसार की रचना करने का कार्य, सम्पूर्ण मानवजाति को उत्पन्न करने का कार्य था। यह मानवजाति को बचाने का कार्य नहीं था, और मानवजाति को बचाने के कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं रखता है, क्योंकि जब संसार की रचना हुई थी तब मानवजाति शैतान के द्वारा भ्रष्ट नहीं की गई थी, और इसलिए मानवजाति के उद्धार का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते है...