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बुधवार, 1 मई 2019

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या आप जाग उठे हैं?"

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "क्या आप जाग उठे हैं?"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "अगर लोग जीवित प्राणी बनना चाहते हैं, और परमेश्वर के गवाह बनना चाहते हैं, और परमेश्वर का अनुमोदन प्राप्त करना चाहते हैं, तो उन्हें परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करना होगा, उन्हें आनंदपूर्वक उसके न्याय व ताड़ना के प्रति समर्पित होना होगा, और आनंदपूर्वक परमेश्वर की काट-छांट और बर्ताव को स्वीकार करना होगा। केवल तब ही परमेश्वर द्वारा जरूरी तमाम सत्य को अपने आचरण में ला सकेंगे, और तब ही परमेश्वर के उद्धार को पा सकेंगे, और सचमुच जीवित प्राणी बन सकेंगे। जीवित परमेश्वर द्वारा बचाए जाते हैं, वे परमेश्वर द्वारा न्याय व ताड़ना का सामना कर चुके हैं, वे स्वयं को समर्पित करने और आनंदपूर्वक अपने प्राणों को परमेश्वर को देने के लिए तत्पर हैं और वे प्रसन्नता से अपना सम्पूर्ण जीवन परमेश्वर को अर्पण करने में भी तत्पर हैं। जब जीवित जन परमेश्वर की गवाही देता है, तब ही शैतान शर्मिन्दा होता है, केवल जीवित ही परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार कर सकते हैं, केवल जीवित ही परमेश्वर के हृदय का अनुसरण करते हैं और केवल जीवित ही वास्तविक जन हैं।"

अनुशंसित:सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन "परमेश्वर की इच्छा की समरसता में सेवा कैसे करें"

रविवार, 28 अप्रैल 2019

पवित्र आत्मा के वचन "तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है"

पवित्र आत्मा के वचन "तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है"

      सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "परमेश्वर में विश्वास करना इतना आसान नहीं है जैसा कि मनुष्य कह सकता है। जैसे कि परमेश्वर इसे देखता है, यदि तुम्हारे पास सिर्फ़ ज्ञान है किन्तु जीवन के रूप में उसका वचन नहीं है; यदि तुम सिर्फ़ अपने स्वयं के ज्ञान तक ही सीमित हो परन्तु सत्य का अभ्यास नहीं कर सकते हो या परमेश्वर के वचन को जी नहीं सकते हो, तो तब भी यह प्रमाण है कि तुम्हारे पास परमेश्वर को प्रेम करने वाला हृदय नहीं है, और दर्शाता है कि तुम्हारा हृदय परमेश्वर से संबंधित नहीं है। परमेश्वर में विश्वास करके उसे जान लेना; यह अंतिम लक्ष्य है और जिसे मनुष्य को खोजना चाहिए। तुम्हें परमेश्वर के वचनों को जीने के लिए प्रयास समर्पित अवश्य करने चाहिए ताकि वे तुम्हारे अभ्यास में महसूस किए जा सकें। यदि तुम्हारे पास सिर्फ़ सैद्धांतिक ज्ञान है, तो परमेश्वर में तुम्हारा विश्वास बेकार हो जाएगा। तब यदि तुम सिर्फ़ इसे अभ्यास में लाते हो और उसके वचन को जीते हो तभी तुम्हारा विश्वास पूर्ण और परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप माना जाएगा।"

शनिवार, 23 मार्च 2019

Hindi Gospel Song | एक निर्मित प्राणी के दिल की आवाज़ | Christians Worship God With All Their Hearts


Hindi Gospel Song | एक निर्मित प्राणी के दिल की आवाज़ | Christians Worship God With All Their Hearts

मैंने चाहा रोना, कोई जगह नहीं थी सही।
मैंने चाहा गाना, मिला नहीं कोई गीत।
न बता पाए मुझे होता जो महसूस।
मैंने चाहा एक निर्मित प्राणी के प्रेम का करना इज़हार।
ऊपर-नीचे ढूंढा, पर कोई वचन न बता पाए,
हूँ ख़ुश कि आप आए इस दुनिया में, इस दुनिया में,
व्यावहारिक और सच्चे परमेश्वर, मेरे भीतर के प्रेम।
स्तुति में आपकी मैं उठाऊँ अपने हाथ,
हमें बचाया और ले आए हमें इस ख़ूबसूरत जगह में।
इस दुनिया में, इस दुनिया में।

मंगलवार, 19 मार्च 2019

पवित्र आत्मा के वचन "तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है"


सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

Hindi Christian Video | विजय गान | Preaching the Gospel of the Return of the Lord Jesus
अंत के दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के न्‍याय का कार्य हर पंथ और समूह में गूंज उठा है। राज्य के सुसमाचार का प्रचार होने के बाद, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन अधिक-से-अधिक लोगों द्वारा स्वीकार और प्रचारित किए जा रहे हैं, परमेश्वर के सच्चे विश्वासी जो उनके प्रकटन की लालसा रखते हैं वे परमेश्वर के सिंहासन से समक्ष एक-एक करके वापस आ रहे हैं।

रविवार, 6 जनवरी 2019

परमेश्वर के विश्वासियों को किस प्रकार की पीड़ा अवश्य सहनी चाहिए और पीड़ा का अर्थ।

6. परमेश्वर के विश्वासियों को किस प्रकार की पीड़ा अवश्य सहनी चाहिए और पीड़ा का अर्थ।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज अधिकाँश लोग यह महसूस नहीं करत: वे मानते हैं कि दुःख उठाने का कोई महत्व नहीं है, वे संसार के द्वारा त्यागे जाते हैं, उनके पारिवारिक जीवन में परेशानी होती है, वे परमेश्वर के प्रिय भी नहीं होते, और उनकी अपेक्षाएँ काफी निराशापूर्ण होती हैं। कुछ लोगों के कष्ट एक विशेष बिंदु तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं। यह परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम नहीं है; ऐसे लोग कायर होते हैं, उनमें बिलकुल धीरज नहीं होता, वे कमजोर और शक्तिहीन होते हैं! परमेश्वर उत्सुक है कि मनुष्य उससे प्रेम करे, परंतु मनुष्य जितना अधिक उससे प्रेम करता है, मनुष्य के कष्ट उतने अधिक बढ़ते हैं, और जितना अधिक मनुष्य उससे प्रेम करता है, मनुष्य के क्लेश उतने अधिक होते हैं।

मंगलवार, 1 जनवरी 2019

कुछ लोगों ने कहा है, "यदि हम प्रभु यीशु के मार्ग पर चलेंगे और उनकी अपेक्षाओं के अनुसार अपना आचरण रखेंगे, यदि हम विनम्र और धैर्यवान होंगे, अपने शत्रुओं से प्रेम करेंगे, सलीब को धारण करेंगे, अपने शरीर को वश में रखेंगे, प्रचारकार्य और प्रभु के लिए काम करेंगे और उनकी गवाही देंगे, यदि हम इन चीज़ों में मेहनत करेंगे, तो हम पवित्र हो जाएंगे।" ऐसा कहना क्यों गलत है?

मनुष्य के पापों को देहधारी परमेश्वर के द्वारा क्षमा किया गया था, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि मनुष्य के भीतर कोई पाप नहीं है। पाप बलि के माध्यम से मनुष्य के पापों को क्षमा किया जा सकता है, परन्तु मनुष्य इस मसले को हल करने में असमर्थ रहा है कि वह कैसे आगे और पाप नहीं कर सकता है और कैसे उसके पापी स्वभाव को पूरी तरह से दूर किया जा सकता है और उसे रूपान्तरित किया जा सकता है। परमेश्वर के सलीब पर चढ़ने के कार्य की वजह से मनुष्य के पापों को क्षमा किया गया था, परन्तु मनुष्य पुराने, भ्रष्ट शैतानी स्वभाव में जीवन बिताता रहा। वैसे तो, मनुष्य को भ्रष्ट शैतानी स्वभाव से अवश्य पूरी तरह से बचाया जाना चाहिए ताकि मनुष्य का पापी स्वभाव पूरी तरह से दूर किया जाए और फिर कभी विकसित न हो, इस प्रकार मनुष्य के स्वभाव को बदले जाने की अनुमति दी जाए।

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को अपने गंतव्य के लिए भले कार्यों से पर्याप्त होकर तैयार होना चाहिए।

7. परमेश्वर पर विश्वास करने वालों को अपने गंतव्य के लिए भले कार्यों से पर्याप्त होकर तैयार होना चाहिए।

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
मेरी दया उन पर व्यक्त होती है जो मुझसे प्रेम करते हैं और अपने आपको नकारते हैं। और दुष्टों को मिला दण्ड निश्चित रूप से मेरे धार्मिक स्वभाव का प्रमाण है, और उससे भी बढ़कर, मेरे क्रोध का साक्षी है। जब आपदा आएगी, तो उन सभी पर अकाल और महामारी आ पड़ेगी जो मेरा विरोध करते हैं और वे विलाप करेंगे। जो लोग सभी तरह की दुष्टता कर चुके हैं, किन्तु जिन्होंने बहुत वर्षों तक मेरा अनुसरण किया है, वे अभियोग से नहीं बचेंगे; वे भी, ऐसी आपदा जिसके समान युगों-युगों तक कदाचित ही देखी गई होगी, में पड़ते हुए, लगातार आंतक और भय की स्थिति में जीते रहेंगे। और केवल मेरे वे अनुयायी ही जिन्होंने मेरे प्रति निष्ठा दर्शायी है मेरी सामर्थ्य का आनंद लेंगे और तालियाँ बजाएँगे।

सोमवार, 19 नवंबर 2018

2. परमेश्वर के द्वारा उपयोग में लाये गए लोगों के कार्य और धार्मिक नेताओं के काम के बीच क्या अंतर है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, परमेश्वर की स्तुति, परमेश्वर से प्रेम,

VIII. परमेश्वर के कार्य और मनुष्य के काम के बीच अंतर से सम्बंधित सच्चाई पर हर किसी को स्पष्ट रूप से अवश्य ही सहभागिता करनी चाहिए

2. परमेश्वर के द्वारा उपयोग में लाये गए लोगों के कार्य और धार्मिक नेताओं के काम के बीच क्या अंतर है?संदर्भ के लिए बाइबल के पद:"तब यहोवा ने कहा, '… परन्तु मेरा दास मूसा ऐसा नहीं है; वह तो मेरे सब घरानों में विश्‍वासयोग्य है'" (गिनती 12:6-7)।"हाय इस्राएल के चरवाहों पर जो अपने अपने पेट भरते हैं! क्या चरवाहों को भेड़-बकरियों का पेट न भरना चाहिए? तुम लोग चर्बी खाते, ऊन पहिनते और मोटे मोटे पशुओं को काटते हो; परन्तु भेड़-बकरियों को तुम नहीं चराते। तुम ने बीमारों को बलवान न किया, न रोगियों को चंगा किया, न घायलों के घावों को बाँधा, न निकाली हुई को लौटा लाए, न खोई हुई को खोजा, परन्तु तुम ने बल और जबरदस्ती से अधिकार चलाया है। वे चरवाहे के न होने के कारण तितर-बितर हुईं; और सब वनपशुओं का आहार हो गईं। मेरी भेड़-बकरियाँ तितर-बितर हुई हैं; वे सारे पहाड़ों और ऊँचे ऊँचे टीलों पर भटकती थीं; मेरी भेड़-बकरियाँ सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर हुईं; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूँढ़ता था" (यहेजकेल 34:2-6)।

बुधवार, 14 नवंबर 2018

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?

परमेश्वर की गवाही देते बीस सत्य, उद्धार, परमेश्वर से प्रेम,

VI. अनुग्रह के युग में बचाए जाने और राज्य के युग में उद्धार पाने के बीच रहे अंतर की सच्चाई के पहलू पर हर किसी को अवश्य स्पष्ट रूप से सहभागिता करनी चाहिए

2. बचाए जाने और उद्धार के बीच सारभूत अंतर क्या है?
संदर्भ के लिए बाइबल के पद:
"जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)।
"इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ" (लैयव्यवस्था 11:45)।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया है, उसने केवल समस्त मानवजाति के छुटकारे के कार्य को पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना, मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। शैतान के प्रभाव से मनुष्य को पूरी तरह बचाने के लिये यीशु को न केवल पाप-बलि के रूप में मनुष्यों के पापों को लेना आवश्यक था, बल्कि मनुष्य को उसके भ्रष्ट स्वभाव से पूरी तरह मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़े कार्य करने की आवश्यकता थी जिसे शैतान द्वारा भ्रष्ट कर दिया गया था। और इसलिए, मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिए जाने के बाद, एक नये युग में मनुष्य की अगुवाई करने के लिए परमेश्वर वापस देह में लौटा, और उसने ताड़ना एवं न्याय के कार्य को आरंभ किया, और इस कार्य ने मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में पहुँचा दिया।

रविवार, 4 नवंबर 2018

4. पीड़ा से प्रेम की सुगंध उत्सर्जित होती है

4. पीड़ा से प्रेम की सुगंध उत्सर्जित होती है

ज़ियाओकाई, जियांग्ज़ी प्रांत
मैं एक साधारण ग्रामीण महिला हूँ और, केवल लड़कों को महत्व देने के सामंती विचार की वजह से, मैं लड़का पैदा नही करने के कारण शर्म से दूसरों के सामने सिर उठाने में असमर्थ थी। जब मैं बहुत अधिक पीड़ित थी, तभी मुझे प्रभु यीशु द्वारा चुना लिया गया और दो साल बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार कर लिया। इसके अलावा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के भीतर से मुझे बहुत सच्चाई समझ में आई और मेरे हृदय को सच्ची मुक्ति मिली। हालाँकि, जब मैं परमेश्वर के प्रेम का भुगतान करने के लिए अपना कर्तव्य कर रही थी, तो मुझे सीसीपी सरकार द्वारा दो बार गिरफ्तार किया गया और मैंने सीसीपी के प्यादों के हाथों क्रूर यातना और पीड़ा का सामना किया।

शुक्रवार, 26 अक्टूबर 2018

11.व्यक्तिगत प्रतिशोध का स

11. व्यक्तिगत प्रतिशोध का स

झोउलीजिंटाईशहर, शान्डोंगप्रांत
कुछ समय पहले हमे अपने क्षेत्र में ज़िलों का चयन करना पड़ता था, और अगुआओं को चुनने के लिए हमारे सिद्धांतों के आधार पर एक भाई होता था जो तुलनात्मक तौर पर एक उपयुक्त उम्मीदवारहोता था। मैंने उसे ज़िले का अगुआ बनाने की तैयारी कर ली। एक दिन मैं जब इस भाई के साथ बातचीत कर रही थी;उसने उल्लेख किया कि वह ऐसा महसूस करता था कि मै अपने काम में अत्यधिक व्यस्त हो गयी थी, बहुत अधिक, और मेरे साथ बैठने में कुछ आनंद नहीं आ रहा था... जब मैंने यह सुना, मुझे लगा कि मैं बहुत घटिया हूँ। मुझे बहुत बुरा लगा; मैंने तुरंत ही इस भाई के लिए एक धारणा विकसित कर ली, और उसके बाद मैंने उसे ज़िला के अगुआ के रूप में आगे बढ़ाने की कोई योजना नहीं बनाई।

बुधवार, 24 अक्टूबर 2018

9. मैं परमेश्वर को जानने का मार्ग देखता हूँ

9. मैं परमेश्वर को जानने का मार्ग देखता हूँ

शिआओकाओ चांग्ज़ी सिटी, शांक्ज़ी प्रदेश
एक दिन, मैंने एक निबंध में परमेश्वर के वचन का निम्न अवतरण पढ़ा "पतरस ने यीशु को कैसे जाना": "यीशु का अनुसरण करने के दौरान, पतरस ने उसके जीवन के बारे में हर चीज़ का अवलोकन किया और उसे हृदय से लगाया: उसके कार्यों को, वचनों को, गतिविधियों को, और अभिव्यक्तियों को। … यीशु के साथ सम्पर्क में उसके समय से, पतरस ने यह भी महसूस किया कि उसका चरित्र किसी भी साधारण मनुष्य से भिन्न था। उसने हमेशा स्थिरता से कार्य किया, और कभी भी जल्दबाजी नहीं की, किसी भी विषय को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं बताया, न ही कम करके आँका, और अपने जीवन को इस तरह से संचालित किया जो सामान्य और सराहनीय दोनों था।

शुक्रवार, 12 अक्टूबर 2018

परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।

अध्याय 4 तुम्हें अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की सच्चाईयों को अवश्य जानना चाहिए।

2.परमेश्वर के विजय के कार्य का महत्व।
परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:
आज का विजय कार्य उस सम्पूर्ण साक्ष्य और उस सम्पूर्ण प्रताप को पुनः प्राप्त करने, और सभी मनुष्यों से परमेश्वर की आराधना करवाने के लिए है, जिससे सृष्ट वस्तुओं में साक्ष्य हो। कार्य के इस पड़ाव में यही किए जाने की आवश्यकता है। मनुष्यजाति को किस प्रकार जीता जाए? मनुष्य को सम्पूर्ण रीति से कायल करने के लिए यह वचनों के इस कार्य का प्रयोग कया जायेगा; उसे पूर्णत: अधीन बनाने के लिए, न्याय, ताड़ना, निर्दयी श्राप और प्रकटीकरण का प्रयोग किया जायेगा; और मनुष्य के विद्रोहीपन को ज़ाहिर करने और उसके विरोध का न्याय करने के द्वारा किया जाएगा; जिससे वह मानवता की अधार्मिकता और अशुद्धता को जान सके, जिसका प्रयोग परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव की विशिष्टता दर्शाने के लिए किया जाएगा। मुख्यतः, यह इन वचनों का प्रयोग होगा, जो मनुष्य को जीतते और उसे पूर्णत: कायल करते हैं।

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते है...