- परमेश्वर के वचनों का एक भजन
- बदली नहीं हैं परमेश्वर की उम्मीदें इंसान के लिये
- I
- जब इसहाक को पेश किया बलिदान के लिये अब्राहम ने,
- तो देखी परमेश्वर ने आज्ञाकारिता और ईमानदारी उसकी,
- कामयाब रहा वो परमेश्वर के इम्तहान में।
- परमेश्वर का विश्वासपात्र बनने, उसे जानने की योग्यता से
- अभी भी दूर था मगर वो।
- देख नहीं सका परमेश्वर का स्वभाव वो।
- बनाया जब से इंसान को उसने,
- वफ़ादार विजेताओं का समूह बनाना चाहा परमेश्वर ने,
- अपने साथ चलने को जो जानता हो उसके स्वभाव को।
- बदली नहीं उसकी ये चाहत कभी।
- रही है ये सदा वैसे ही।
- उसकी उम्मीदें रहीं वैसे ही।
- II
- मन ही मन बेचैन और अकेला,
- उदास रहा है परमेश्वर।
- उसकी प्रबंधन योजना पूरी हो इसलिये,
- उसका अपनी योजना को जल्दी सामने लाना ज़रूरी था।
- उसकी इच्छा जल्दी पूरी हो इसलिये,
- उसका सही लोगों को चुनना, हासिल करना ज़रूरी था।
- परमेश्वर की ये तीव्र इच्छा बदली नहीं है आज भी।
- बनाया जब से इंसान को उसने,
- वफ़ादार विजेताओं का समूह बनाना चाहा परमेश्वर ने,
- अपने साथ चलने को जो जानता हो उसके स्वभाव को।
- बदली नहीं उसकी ये चाहत कभी।
- रही है ये सदा वैसे ही।
- उसकी उम्मीदें रहीं वैसे ही।
- III
- कितना भी करना पड़े इंतज़ार उसे,
- रास्ता आगे का कितना भी मुश्किल हो,
- इच्छित लक्ष्य कितने भी दूर हों,
- हारा नहीं परमेश्वर कभी, बदली नहीं अपनी अपेक्षा उसने।
- मज़बूत हैं इंसान के लिये उम्मीदें उसकी।
- कह चुका वो बात अपनी, क्या समझते हो उसकी किसी इच्छा को तुम लोग?
- एहसास फिलहाल तुम्हारा गहरा न हो,
- हो जाएगा वक्त के साथ ये गहरा मगर।
- बनाया जब से इंसान को उसने,
- वफ़ादार विजेताओं का समूह बनाना चाहा परमेश्वर ने,
- अपने साथ चलने को जो जानता हो उसके स्वभाव को।
- बदली नहीं उसकी ये चाहत कभी।
- रही है ये सदा वैसे ही।
- उसकी उम्मीदें रहीं वैसे ही।
- "वचन देह में प्रकट होता है" से
- अनुशंसित: Hindi Christian Song Download
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