Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 4 - सत्ताधारी हुकूमत की आज्ञा का पालन करना परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने जैसा नहीं है
सीसीपी ने थ्री-सेल्फ़ कलीसिया के एक पादरी को बुलाया ताकि एक ईसाई को कपट से बहला-फुसलाकर परमेश्वर का त्याग कर देने के लिये उसका मत-परिवर्तन कर सके। उस ईसाई और पादरी के बीच पौलुस के वचनों को लेकर एक ख़ूबसूरत बहस हुई: "हर एक व्यक्ति शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे, क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं" (रोमियों 13:1)।(© BSI) इन वचनों की उन दोनों की अलग-अलग व्याख्या क्या है? थ्री-सेल्फ़ कलीसिया का पादरी सीसीपी के अधीन है और उसने थ्री-सेल्फ़ कलीसिया का मार्ग अपनाया है—इसमें कौन-सा गुप्त अभिप्राय है? ईसाई "शासकीय अधिकारियों के अधीन रहे," को लेकर पादरी के वितर्क का खंडन कैसे करेगी?
अनुशंसित: परमेश्वर की फिल्म
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