The Lord Jesus fed five thousand people with five loaves and two fish. Within these five thousand people, some had not been following him, but the Lord Jesus could still treat them well. From this, I feel that God loves the human beings he created with mercy. God's love is worthy of us to know!
अंतिम दिनों के मसीह के कथन "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर III" (भाग पांच)
सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जब प्रभु यीशु लाज़र को मृतकों में से वापस जीवित किया, तो उसने एक पंक्ति का उपयोग किया: "लाज़र निकल आ!" उसने इसके अलावा कुछ भी नहीं कहा था—ये शब्द क्या दर्शाते हैं? ये दर्शाते हैं कि परमेश्वर बोलने के द्वारा कुछ भी पूरा कर सकता है, जिस में एक मरे हुए इंसान को जीवित करना भी शामिल है। जब परमेश्वर ने सभी चीज़ों की सृष्टि की, जब उसने जगत को बनाया, उसने ऐसा अपने वचनों के द्वारा किया था। उसने बोले गए आज्ञाओं, एवं अधिकार के वचनों का प्रयोग किया था, और बस इस प्रकार सभी चीज़ों की सृष्टि हो गई थी। यह इसी प्रकार पूरा हुआ था। यह एक मात्र पंक्ति जो प्रभु यीशु के द्वारा कही गयी वह परमेश्वर के द्वारा कहे गए उस वचन के समान थी जब उसने आकाश और पृथ्वी और सभी चीज़ों की सृष्टि की थी; उसमें परमेश्वर का अधिकार, और सृष्टिकर्ता की योग्यता एक समान थी। परमेश्वर के मुँह के वचनों के कारण सभी चीज़ों को बनाया गया और वे स्थिर हुए, और बिल्कुल वैसे ही प्रभु यीशु के मुँह से बोले गए वचन के कारण लाज़र अपनी क़ब्र से बाहर आ गया। यह परमेश्वर का अधिकार था, जो उसके देहधारी शरीर में प्रदर्शित और सिद्ध हुआ था। इस प्रकार का अधिकार और योग्यता सृष्टिकर्ता का था, और मनुष्य के पुत्र का था जिस में सृष्टिकर्ता सिद्ध हुआ था। या वह समझ है जिसे परमेश्वर के द्वारा लाज़र को मृतकों में से वापस लाकर मानवजाति को सिखाया गया है।"
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