घर

शुक्रवार, 30 मार्च 2018

छत्तीसवाँ कथन


सब कुछ मेरे हाथों द्वारा व्यवस्थित है। कौन है जो अपनी मनमर्ज़ी करने की हिम्मत कर सकता है? कौन है जो इसे आसानी से बदल सकता है? लोग हवा में धूल की तरह उड़ते रहते हैं, उनके चेहरे धूल से लथपथ, सिर से पैर की उंगलियों तक घिनौने बन जाते हैं। मैं भारी दिल से बादलों में से देखता हूं: मनुष्य, जो कभी जीवन शक्ति से भरा हुआ रहता था, कैसे इस रूप में बदल गया? और वह इस से अनजान क्यों है, और इसके लिए समझदारी क्यों नहीं दिखाता है? क्यों उसने "अपने आप को छोड़ दिया है" और स्वयं को मैल से ढकने दिया है? स्वयं के लिए उसका प्रेम और सम्मान कितना कम है। क्यों मनुष्य उससे बचता है जो मैं उससे पूछता हूँ? क्या मैं वास्तव में उसकी ओर क्रूर और अमानवीय हूँ? क्या मैं वास्तव में मनमाने और अनुचित ढंग से पेश आता हूं? तो क्यों लोग हमेशा मुझे घूरती हुई आँखों से देखते हैं? वे हमेशा मुझसे नफ़रत क्यों करते हैं? क्या मैं उन्हें रास्ते के अंत तक ले आया हूं? मनुष्य ने मेरी ताड़ना में कभी कुछ भी नहीं पाया, क्योंकि वह अपने दोनों हाथों से अपने गले की पट्टी को पकड़ने के अलावा कुछ नहीं करता, उसकी दोनों आँखें मुझ पर टिकी रहती हैं मानो किसी शत्रु पर नज़र रखे हों—और इसी पल में मुझे समझ आता है कि वह कितना दुर्बल है। इसी कारणवश मैं यह कहता हूं कि कोई भी कभी भी मेरे परीक्षणों के बीच दृढ़ता से खड़ा नहीं रह पाया है। क्या मनुष्य की कद-काठी ऐसी ही नहीं है? क्या उसे मेरी आवश्यकता उसके "मापन" के आंकड़े बताने के लिए है? मनुष्य की "लंबाई" ज़मीन पर रेंगते हुए उस छोटे-से कीड़े से अधिक नहीं है, और उसकी "छाती" सांप के समान चौड़ाई की है। यह कहकर, मैं मनुष्य का महत्व कम नहीं कर रहा हूं—क्या ये उसकी कद-काठी के सटीक आंकड़े नहीं हैं? क्या मैंने मनुष्य को अपमानित किया है? मनुष्य एक उछल-कूद करने वाले बच्चे की तरह है। कभी-कभी वह जानवरों के साथ खेलता है, फिर भी वह ख़ुश रहता है; और वह एक बिल्ली की तरह है, जो बिना किसी परवाह और चिंता के जीवन जी रहा है। शायद यह आत्मा के मार्गदर्शन या स्वर्ग के परमेश्वर की भूमिका की वजह से है कि मैं धरती के लोगों की फ़िजूल ख़र्ची वाली जीवन शैली से अत्यंत थक गया हूँ। एक परजीवी के जैसे मनुष्य के जीवन की वजह से "मानव जीवन" शब्दों में मेरी "रुचि" कुछ हद तक बढ़ गई है, और इसलिए मैं मानव जीवन की ओर थोड़ा अधिक "श्रद्धामय" बन गया हूं। क्योंकि ऐसा प्रतीत होता है कि केवल मनुष्य ही एक ऐसा जीवन बनाने में सक्षम है जिसका कोई अर्थ हो, जबकि मैं यह करने में असमर्थ हूं। इसलिए मैं केवल "पहाड़ों" में जाकर अलग रह सकता हूं, क्योंकि मैं मनुष्य की कठिनाइयों का न तो अनुभव कर सकता हूँ और न ही उसे देख सकता हूँ। फिर भी मनुष्य मुझे मजबूर करता है—मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है! मुझे मनुष्य की व्यवस्थाओं का पालन करना ही है, उसके साथ के अनुभवों को संक्षेप में प्रस्तुत करना ही है और उसके साथ मानव जीवन से गुज़रना ही है। स्वर्ग में, मैंने एक बार पूरे शहर का दौरा किया, और स्वर्ग के नीचे, मैंने एक बार सभी देशों का दौरा किया। फिर भी किसी ने मुझे नहीं पहचाना, जब मैं चारों ओर घूम रहा था, तब उन्होंने केवल मेरे चलने की आवाज़ सुनी। लोगों की आंखों में, मैं आता हूं और बिना निशान छोड़े चला जाता हूँ। ऐसा लगता है कि मैं उनके दिलों में एक अदृश्य प्रतिमा बन चुका हूं, फिर भी लोग इस पर विश्वास नहीं करते। क्या यह हो सकता है कि यह सब मनुष्य के मुंह से कबूले हुए तथ्य नहीं हैं? इस समय, कौन है जो स्वीकार नहीं करता कि उन्हें ताड़ना दी जानी चाहिए? क्या ठोस सबूत के सामने लोग अभी भी अपने सिर को ऊँचा रख सकते हैं?
मैं मनुष्य के बीच एक व्यावसायिक सौदा करता हूं, मैं उसकी सारी अशुद्धता और अधर्म को मिटा देता हूं, और इस तरह से उसे "संसाधित" करता हूं ताकि वह मेरे दिल के अनुसार बने। फिर भी, काम के इस चरण के लिए मनुष्य का सहयोग अनिवार्य है, क्योंकि वह हमेशा उस मछली की तरह कूदता रहता है जिसे अभी पकड़ा गया है। इसलिए, किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए, मैंने पकड़ी गई सभी मछलियों को मार दिया, जिसके बाद मछली आज्ञाकारी हो गईं, और अब थोड़ी-सी भी शिकायत नहीं करतीं। जब मुझे मनुष्य की आवश्यकता होती है, तो वह हमेशा छिपा रहता है। ऐसा लगता है जैसे वह उसने कभी भी आश्चर्यजनक दृश्य नहीं देखे, जैसे कि वह ग्रामीण इलाकों में पैदा हुआ था और शहर के मामलों के बारे में कुछ भी नहीं जानता। मैं मनुष्य के उन हिस्सों में अपना ज्ञान जोड़ता हूं जिनमें कमियाँ हैं, और उसे मुझे जानने पर मजबूर करता हूँ; क्योंकि मनुष्य बहुत गरीब है, मैं व्यक्तिगत रूप से मनुष्य के बीच आता हूँ और उसे "धन का मार्ग" देता हूं, जिससे उसकी आँखें खुल जाती हैं। यह करके क्या मैं उसे बचा नहीं रहा हूं? क्या यह मनुष्य के लिए मेरी करुणा नहीं है? क्या प्रेम बिना शर्त के देना नहीं है? क्या ताड़ना केवल नफ़रत है? मैंने विभिन्न दृष्टिकोणों से मनुष्य को समझाया है, लेकिन वह इसे केवल वचनों और सिद्धांतों की तरह मानता है। ऐसा लगता है कि मेरे कथन दूसरी श्रेणी के सामान हैं, जिसे मनुष्यों के हाथों में बिककर ख़ारिज कर दिया जाता है। इसलिए, जब मैं लोगों को बताता हूं कि पहाड़ी गांव को निगलने एक बड़ा तूफ़ान आ रहा है, तो कोई भी इसके बारे में सोचता नहीं है, उनमें से कुछ ही अपने घरों को हटाते हैं, उनके दिल में भी संदेह होता है। बाकी नहीं हटते, वह ऐसे उदासीन रहते हैं मानो कि मैं आकाश में उड़ती चिड़िया हूँ—मैं जो कुछ भी कहता हूँ, वे उसे नहीं समझते। केवल जब पहाड़ गिर जाते हैं और पृथ्वी तितर-बितर हो जाती है, तभी लोग मेरे वचनों के बारे में सोचते हैं, केवल तब ही वे अपने सपने से जागते हैं, लेकिन समय आ चुका होता है, वे एक विशाल बाढ़ में निगल लिए जाते हैं, उनकी लाशें पानी की सतह पर तैरती रहती हैं। दुनिया की व्यथा को देखकर, मनुष्य के दुर्भाग्य पर मेरे मुँह से एक आह निकल जाती है। मैंने बहुत समय व्यतीत किया, और बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई, मनुष्य के भाग्य के लिए। लोगों के मस्तिष्क में, मेरे पास आंसू की नलिकाएं नहीं हैं—लेकिन मैंने, आंसू की नलिकाओं के बिना इस "सनकी" ने, मनुष्य के लिए बहुत आँसू बहाए हैं। परंतु, मनुष्य इसके बारे में कुछ भी नहीं जानता, वह पृथ्वी पर केवल अपने हाथों के खिलौनों के साथ खेलता है, मानो मेरा कोई अस्तित्व नहीं है। इसलिए, आज की परिस्थितियों में, लोग बेवपरवाह और मंद-बुद्धि रहते हैं, वे अभी भी तहख़ानों में "जमे हुए" हैं, मानो वे अब भी किसी गुफ़ा में पड़े हों। मनुष्य के कार्यों को देखकर, मेरा एकमात्र विकल्प चले जाना है...
लोगों की आंखों में, मैंने बहुत कुछ किया है जो मनुष्य के लिए अच्छा है, और इसलिए वे वर्तमान युग के लिए मुझे एक आदर्श के रूप में देखते हैं। फिर भी उन्होंने मुझे कभी भी मनुष्य के भाग्य का शासक और सभी चीज़ों का निर्माता नहीं माना है। ऐसा लगता है जैसे वे मुझे नहीं समझते हैं। हालांकि, लोग किसी समय में "समझ कई वर्षों तक जीवित रहे" का नारा लगाते थे, फिर भी किसी ने "समझ" शब्द का विश्लेषण करने में कुछ अधिक समय नहीं बिताया, जो दिखाता है कि लोगों में मुझसे प्रेम करने की कोई इच्छा नहीं है। आज के समय में, लोगों ने मुझे कभी क़ीमती नहीं माना, उनके दिल में मेरी कोई जगह नहीं है। आने वाले पीड़ादायक दिनों में क्या वे मेरे लिए सच्चा प्रेम दिखा सकते हैं? मनुष्य की धार्मिकता बिनी किसी स्वरूप वाली चीज़ बनी हुई है, एक ऐसी चीज़ जिसे कोई देख नहीं सकता या छू नहीं सकता। मुझे मनुष्य का दिल चाहिए, क्योंकि मानव शरीर में हृदय सबसे अधिक मूल्यवान है। क्या मेरा कार्य इस लायक नहीं कि उसकी क़ीमत मनुष्य के दिल से चुकाई जा सके? लोग मुझे अपना दिल क्यों नहीं देते? क्यों वे हमेशा उसे अपनी छाती से लगाए रखते हैं और जाने नहीं देना चाहते? क्या मनुष्य का दिल लोगों के पूर्ण जीवन में शांति और ख़ुशी सुनिश्चित कर सकता है? क्यों ऐसा होता है कि जब मैं लोगों से चीज़ों के बारे में पूछता हूं, तो वे धरती से मुट्ठी भर धूल उठाकर मेरी ओर फेंकते हैं? क्या यह मनुष्य की चालाक योजना है? ऐसा लगता है कि वे राह से गुज़रते हुए किसी मनुष्य के साथ चाल चलना चाहते हैं जिसके लिए जाने की कोई जगह नहीं है, उन्हें वापस उनके घर की ओर लुभाकर ले जाते हैं, जहाँ वे बुरे बनकर उसको मार देते हैं। लोग भी मेरे साथ ऐसा ही करना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि मानो वे जल्लाद हैं जो बिना पलक झपके किसी को भी मार देंगे, मानो वे शैतान के राजा हों, जिसके लिए लोगों को मारना उसकी प्रकृति का हिस्सा हो। लेकिन अब लोग मेरे सामने आते हैं, अभी भी वे इस तरह के उपायों को आज़माना चाहते हैं—फिर भी उनकी योजनाएं हैं, और मेरे पास अपने प्रत्युपाय हैं। हालांकि लोग मुझसे प्रेम नहीं करते, ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं इस समय अपने प्रत्युपायों को मनुष्य के सामने न रखूँ? मेरे पास मनुष्य को संभालने के लिए असीम, अतुलनीय कौशल है; उसके प्रत्येक भाग को व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा संभाला जाता है, और व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा संसाधित किया जाता है। अंततः, मैं मनुष्य को उससे दूर जाने का दर्द दूँगा जो उसे पसंद है और उसे अपनी व्यवस्थाओं के अधीन कर दूंगा, और उस समय, लोग किस बारे में शिकायत करेंगे? क्या जो कुछ मैं करता हूँ, वह मनुष्य की ख़ातिर नहीं है? अतीत में, मैंने मनुष्य को अपने कार्य के चरणों के बारे में कभी नहीं बताया—लेकिन आजकल, एक ऐसा समय जो अतीत के विपरीत है, क्योंकि मेरे कार्य की सामग्री अलग है, मैंने लोगों को अपने कार्य के बारे में पहले से बताया है ताकि वे इसके परिणामस्वरूप गिरने से बच जाएं। क्या यह वह टीका नहीं है जो मैंने मनुष्य के शरीर में लगाया है? जो भी कारण रहा हो, लोगों ने कभी भी मेरे वचनों को गंभीरता से नहीं लिया; ऐसा लगता है कि वे भूखे हैं और उन्हें खाने के लिए क्या मिलता है उसके बारे में वे बेपरवाह हैं, जिसके कारण उनके पेट कमज़ोर हो गए हैं। लेकिन लोग अपनी "स्वस्थ बनावट" को पूंजी के रूप में लेते हैं और "चिकित्सक" की चेतावनी पर ध्यान नहीं देते। उनकी अभद्रता को देखकर, मैं स्वयं को मनुष्य के लिए चिंतित पाता हूं। क्योंकि लोग बहुत छोटे हैं, और अभी तक उन्हें मानव जीवन का अनुभव नहीं है, उन्हें डर नहीं है; उनके दिलों में, "मानव जीवन" शब्द मौजूद नहीं हैं, उन्हें उसके लिए कोई परवाह नहीं है, और वे बस मेरे वचनों से घृणा करते हैं, मानो मैं बड़बड़ करने वाली एक बूढ़ी औरत बन गया हूं। संक्षेप में, जो भी मामला हो, मुझे आशा है कि लोग मेरा दिल समझ पाएंगे, क्योंकि मुझे मनुष्य को मौत के राज्य में भेजने की कोई इच्छा नहीं है। मुझे आशा है कि मनुष्य यह समझेगा कि मेरा मनोभाव इस क्षण में क्या है, और उस बोझ को ध्यान में रखेगा जो इस समय मेरे ऊपर है।
अप्रैल 26, 1992
व्यवस्था का युग अनुग्रह का युग राज्य का युग

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