घर

शुक्रवार, 13 अप्रैल 2018

इकतालीसवां कथन


एक बार मैंने मनुष्यों के बीच एक महान कार्य की ज़िम्मदारी उठाई, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया, और इसलिए मुझे उसे प्रकट करने के लिए अपने वचनों का उपयोग करना पड़ा। और फिर भी, मनुष्य मेरे वचनों को समझ नहीं पाया, और मेरी योजना के उद्देश्य से अनजान रहा। और इसलिए मनुष्य ने अपनी कमियों और हीनता की वजह से मेरे प्रबंधन में बाधा डालने के काम किए, और अशुद्ध आत्माओं ने प्रकट होने के अवसर का लाभ उठाया, मानव जाति को अपना शिकार बनाया, और उन्होंने तब तक अशुद्ध आत्माओं द्वारा यातनाएं सही जब तक वे पूरी तरह अशुद्ध नहीं हो गए। यही समय था जब मैंने मनुष्य का इरादा और उद्देश्य देखा। इस धुंध से मेरी आह निकल गई: ऐसा क्यों है कि मनुष्य हमेशा अपने हितों के लिए काम करता है? क्या मेरी ताड़नाएं उन्हें सही बनाने के लिए नहीं होती हैं? क्या मैं उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश कर रहा हूं? मनुष्य की भाषा तो बहुत सुंदर और नरम है, मगर फिर भी मनुष्य की क्रियाएं बेहद भयानक हैं। ऐसा क्यों है कि मनुष्य से मेरी आवश्यकताओं से हमेशा कुछ भी नहीं निकलकर आता? ऐसा लगता है जैसे मैंने एक कुत्ते को पेड़ पर चढ़ने के लिए कह दिया हो? क्या मैं व्यर्थ में परेशानी उत्पन्न करने की कोशिश कर रहा हूं? अपनी संपूर्ण प्रबंधन योजना को पूरा करते-करते, मैंने कई "प्रयोगात्मक भूखंड" बनाए हैं, परंतु ख़राब भूभाग के कारण, और कई साल तक सूर्य के प्रकाश के न होने के कारण, भू-भाग लगातार बदल रहा है, जो इसके टूटने का कारण बन गया, और इसलिए मेरी स्मृति में, मैंने इस प्रकार के अनगिनत भूखंडों को त्याग दिया है। और अभी भी कई भूभाग हैं जिनमें बदलाव जारी है। अगर किसी दिन पृथ्वी वास्तव में किसी अन्य प्रकार में बदल जाती है, तो मैं इसे आसानी से त्याग दूंगा—क्या यह मेरे कार्य का वर्तमान चरण नहीं है? लेकिन मनुष्य को इसका ज़रा-सा भी अंदाज़ा नहीं है। मेरे मार्गदर्शन में उन्हें केवल ताड़ना सहनी पड़ रही है। परेशान क्यों होना? क्या मैं एक ऐसा परमेश्वर हूँ जो मनुष्य को ताड़ना देने के लिए आया हूँ? स्वर्ग में, मैंने एक बार योजना बनाई थी कि एक बार जब मैं मनुष्य के बीच जाऊँगा, तो मैं उनके साथ एकजुट हो जाऊंगा, ताकि जिस किसी से मैं प्रेम करता हूँ वे मेरे करीब रह सकें और कुछ भी हमें जुदा न कर सके। परंतु, वर्तमान में, आज की परिस्थितियों में, न केवल हम संपर्क में नहीं हैं, बल्कि, वे मेरी ताड़ना के कारण मुझ से दूरी रखते हैं। उनकी अनुपस्थिति के लिए मैं रोता नहीं हूँ। क्या किया जा सकता है? सभी मनुष्य कलाकार हैं जो समूह के साथ चलते हैं। मैं मनुष्यों को अपनी पकड़ से निकलने दे सकता हूँ, और इसलिए ताकि मैं उन्हें विदेशी भूमि से अपने कारखाने में वापस आने दे सकूँ। इस समय, उनकी क्या शिकायतें हो सकती हैं? मनुष्य मेरे साथ क्या कर सकता है? क्या मनुष्य आसानी से बहक नहीं जाते हैं? और फिर भी, मैं इस गलती के लिए मनुष्य को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि उन्हें अपना पोषण प्रदान करता हूँ। किसने उन्हें शक्तिहीन बना दिया? किसने उनमें पोषण की कमी पैदा कर दी? मैं मनुष्य के ठंडे दिलों को अपने गर्म आलिंगन से प्रभावित करता हूं, और कौन है जो ऐसा कर सकता है? मैंने लोगों के बीच इस काम का विस्तार क्यों किया है? क्या मनुष्य वास्तव में मेरा दिल समझ सकता है?
जिन सभी लोगों को मैंने चुना है, उनसे मैंने लेनदेन किया है, और इसलिए मेरे घर में मनुष्यों का आना-जाना एक निरंतर प्रवाह में हमेशा जारी रहता है। वे सभी मेरी जगह में विभिन्न औपचारिकताओं में शामिल होते हैं, जैसे कि वे मेरे साथ व्यापार पर चर्चा कर रहे हों, इतना कि कई बार मेरा कार्य इतना व्यस्त रहता है कि मुझे मनुष्यों के सभी झगड़ों को संभालने का अवसर नहीं मिलता। मैं मनुष्यों से आग्रह करता हूं कि मेरे पक्ष में एक कांटा न बनें, और मुझ पर निर्भर रहने की बजाय अपनी नैया आप खेवें। उन्हें हमेशा मेरे घर में बच्चों की तरह व्यवहार नहीं करना चाहिए; इससे क्या लाभ है? मेरा कार्य महान व्यवसाय है। यह कोई पड़ोस की दुकान या छोटी दुकान नहीं है। मनुष्य हमेशा मेरी मनःस्थिति को समझने में विफल रहता है, स्पष्ट रूप से जानबूझकर मज़ाक करता है। ऐसा प्रतीत होता है कि मनुष्य गंभीर कार्य पर विचार न करते हुए बच्चों की तरह चारों ओर घूमने में बहुत रुचि रखता है, और इसी कारणवश कई लोग मेरे द्वारा दिए गए "गृहकार्य" को पूरा करने में विफल रहते हैं। और फिर इन लोगों की "शिक्षक" को अपना चेहरा दिखाने की हिम्मत कैसे होती है? ऐसा क्यों है कि वे कभी अपने कर्तव्यों को नहीं पूरा करते हैं? मनुष्य का दिल किस तरह की चीज़ है? मैं अब भी अस्पष्ट हूँ। ऐसा क्यों है कि मनुष्य का दिल हमेशा बदलता रहता है? जून के एक दिन की तरह, जब झुलसाने वाला सूरज कभी बेरहम रहता है, तो कभी काले और घने बादलों से आकाश भर जाता है, और कभी भयंकर तेज़ हवाएं चलती हैं। ऐसा क्यों है कि लोग अपने अनुभवों से सीखने में असमर्थ हैं? शायद यह अतिशयोक्ति है। मनुष्य को पता नहीं कि बरसात के मौसम में छाता लाना चाहिए, इसलिए अपनी अज्ञानता के कारण वे अनगिनत बार आकाश से अचानक बरसने वाली बारिश में भीग जाते हैं, मानो मैं जानबूझकर उन्हें चिढ़ा रहा हूँ और उन पर हमेशा स्वर्ग की बारिश धावा बोल देती है। या शायद मैं बहुत "क्रूर" हूं, और हर किसी को खोया हुआ, और इस तरह बेपरवाह बना देता हूँ, और उन्हें पता नहीं होता कि उन्हें क्या करना चाहिए। कोई भी व्यक्ति कभी भी मेरे कार्य के उद्देश्य या महत्व को समझ नहीं पाया है। इसलिए वे सब स्वयं को परेशान करने और स्वंय को ताड़ना देने का काम करते हैं। क्या यह हो सकता है कि मैं जानबूझकर उन्हें ताड़ना दे रहा हूं? क्यों लोग स्वयं के लिए परेशानी उत्पन्न करते हैं? वे हमेशा सीधे जाल में क्यों फंस जाते हैं? वे मेरे साथ तोलमोल क्यों नहीं करते, बल्कि स्वयं अपने लिए काम खोजते हैं? क्या यह हो सकता है कि मैं मानवता को बहुत कम दे रहा हूं?
मैंने सभी लोगों के बीच अपना पहला कार्य प्रकाशित किया, और क्योंकि मेरे कार्य ने लोगों से बहुत प्रशंसा प्राप्त की, सबने इसका अध्ययन सावधानी से किया, और इस ध्यानपूर्वक अध्ययन के माध्यम से उनके लिए हासिल करने के लिए बहुत कुछ था। ऐसा लगता है कि मेरा कार्य एक जटिल, अद्भुत उपन्यास की तरह है, एक रोमांचक गद्य कविता की तरह है, एक राजनीतिक कार्यक्रम की वार्ता की तरह है, एक आर्थिक सामान्य ज्ञान का एक जटिल मिश्रण है। क्योंकि मेरा कार्य इतना समृद्ध है, इस पर कई भिन्न राय हैं, और कोई भी मेरे कार्य की प्रस्तावना का सारांश नहीं दे सकता है। हालांकि, मनुष्य के पास "उत्कृष्ट" ज्ञान और प्रतिभा है, परंतु केवल मेरा यह कार्य सभी नायकों को चकित करने के लिए पर्याप्त है। हालांकि मनुष्य कहते हैं कि "रक्त बह सकता है, आंसू बहाए जा सकते हैं, लेकिन किसी को भी सिर नीचे नहीं करना चाहिए", वे फिर भी मेरे कार्य के लिए आत्मसमर्पण की अभिव्यक्ति में अनजाने में अपने सिर को नीचे कर रहे हैं। मनुष्य ने अपने अनुभवों के माध्यम से जो कुछ सीखा है, उसे संक्षेप में ऐसे कहा है कि[क] ऐसा लगता है कि मेरा कार्य एक स्वर्गिक पुस्तक है जिसे आकाश से गिराया गया है, लेकिन मैं मनुष्य से आग्रह करता हूं कि उसे अतिसंवेदनशील नहीं होना चाहिए। मेरे विचार में, मैंने जो कहा है वह बहुत ही पारंपरिक है; परंतु, मुझे आशा है कि मेरे कार्य के "जीवन के विश्वकोश" में लोगों को आजीविका के रास्ते मिलें, और "मनुष्य की मंज़िल" से उन्हें जीवन का अर्थ मिले और स्वर्ग के रहस्यों से मेरी इच्छा प्राप्त हो, और "मानवजाति की राह" से वे जीवन की कला प्राप्त कर सकें। क्या यह बेहतर नहीं होगा? मैं मनुष्य को मजबूर नहीं करता; जो लोग मेरे कार्य में दिलचस्पी नहीं रखते हैं, मैं उन्हें अपनी पुस्तक पर "पैसे वापस" कर दूँगा, साथ ही एक "सेवा प्रभार" भी वापस कर दूंगा। मैं मनुष्य को अनिच्छा से कार्य करने के लिए नहीं कहता हूँ। इस पुस्तक के लेखक के रूप में, मेरी एकमात्र आशा यह है कि पाठकों को मेरा कार्य पसंद आएगा, लेकिन जो लोगों को आनंद देता है वह हमेशा अलग होता है। और इसलिए मैं मनुष्य से आग्रह करता हूं कि वे अपना सम्मान बचाने के लिए भविष्य की संभावनाओं से समझौता न करें। अगर यह मामला होता, तो मेरे जैसा दयालु कैसे इतना बड़ा अपमान सहन कर सकता था? अगर तुम मेरे कार्य को पसंद करते हो, तो मुझे आशा है कि तुम मुझे अपने अनमोल सुझाव दोगे, ताकि मैं अपना लेखन सुधार सकूं, और इस प्रकार मनुष्य के दोषों के माध्यम से अपने लेखन की सामग्री में सुधार कर सकूँ। यह लेखक और पाठक दोनों को लाभ पहुँचाता है, है ना? मुझे नहीं मालूम कि यह सही माना जा सकता है या नहीं। शायद इस तरह से मैं अपनी लेखन क्षमता बेहतर कर सकता हूं, और हमारे बंधुत्व को मज़बूत कर सकता हूं। समग्र रूप से, मुझे उम्मीद है कि सभी मेरे कार्य में बिना किसी रुकावट के सहयोग करेंगे, ताकि मेरे वचन हर परिवार और घर में फैलाए जा सकें, ताकि पृथ्वी के सभी लोग मेरे वचन के बीच रह सकें। यह मेरा लक्ष्य। मैं आशा करता हूं कि मेरे वचनों में जीवन के अध्याय के माध्यम से सभी मनुष्यों के लिए कुछ न कुछ हासिल करने के लिए हो, जैसे कि जीवन की सूक्तियाँ, या मानव जाति के दोषों का या मनुष्य से मुझे क्या चाहिए उसका ज्ञान[ख], या आज के राज्य के लोगों के "रहस्य"। परंतु, मैं मनुष्यों को आज के मानव के घोटालों पर एक नज़र डालने के लिए आग्रह करना चाहता हूं; यह सभी के लिए फ़ायदेमंद हो सकता है। तुम नवीनतम रहस्य भी पढ़ सकते हो, जो लोगों के जीवन के लिए और भी अधिक फ़ायदेमंद हो सकता है। फिर लोकप्रिय विषय भी हैं—क्या यह लोगों के जीवन के लिए और भी अधिक लाभदायक नहीं है? मेरी सलाह का उपयोग करने में, यह देखने में कि क्या उसका कोई प्रभाव होता है, इसे पढ़ने के बाद मुझसे संबंधित महसूस करने में ताकि मैं सही दवा दे सकूँ जो अंत में मानवता की सभी बीमारियों को दूर कर सके, कोई बुराई नहीं है। मुझे नहीं मालूम कि मेरा सुझाव कैसे काम करेगा, परंतु मुझे आशा है कि तुम उन्हें संदर्भ के रूप में उपयोग कर सकते हो। तुम लोग क्या सोचते हो?
मई 12, 1992
पादटीका:
क. मूल पाठ में "ऐसे कहा है" शामिल नहीं है।
ख. मूल पाठ में "का ज्ञान" शामिल नहीं है।
व्यवस्था का युग अनुग्रह का युग राज्य का युग

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते हैं

Hindi Gospel Video "वार्तालाप" क्लिप 6 - ईसाई किस प्रकार सीसीपी के "चारे की तरह परिवार का इस्तेमाल" का जवाब देते है...