नए दृष्टिकोण के नए वचन का अनुसरण करते हुए, मेरे कार्य में नए चरण होंगे। जैसा कि यह राज्य में है, मैं सीधे पथ के हर चरण की अगुवाई करते हुए, सटीक और सूक्ष्म विवरण के साथ, जिनमें इंसानी आकाक्षाओं की कोई मिलावट नहीं होगी, दिव्यता से कार्य करूंगा।
वास्तविक अमल की रूपरेखा निम्न प्रकार से होगी: चूंकि उन्होंने कठिनाइयों और परिष्करण के ज़रिए "जन" की उपाधि हासिल की है, और चूंकि वे राज्य के जन हैं, मेरी उनसे कठोर अपेक्षाएं कठोर होंगी, जो पिछली पीढ़ी के मेरे कार्य की पद्धति से ऊंचे हैं। यह मात्र मेरे वचनों की सच्चाई नहीं है, बल्कि आवश्यक रूप से यह अमल की सच्चाई है, और पहले इसे हासिल करना आवश्यक है। यह ज़रूरी है कि वे तमाम वचनों और कर्मों में, राज्य के लोगों से अपेक्षित मानकों को पूरा करें, और यदि कोई अपराधी हुए तो उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा, ताकि मेरे नाम पर कोई कलंक न लगे। हालांकि, ऐसे अज्ञानी जिनमें एक स्पष्ट दृष्टि नहीं है, और जो समझ नहीं सकते, एक अपवाद हैं। मेरे राज्य के निर्माण में, मैं जो वचन बोलता हूं, उन्हें आत्मसात करने पर ध्यान दो, मेरी बुद्धि को समझो और मेरे कार्य के ज़रिए पुष्टि करो। मेरे लिए वो पूरी तरह से अवांछित है जो ऐसी पुस्तक के वचनों पर अपना दिमाग लगाता है जो मेरी नहीं है; जो मेरी उपेक्षा करता है, वह वेश्या है। एक प्रेरित के नाते, किसी को अधिक समय तक घर पर नहीं बैठना चाहिए। यदि वो ऐसा नहीं करता है तो मैं उसे त्याग दूंगा और फिर कभी उसका उपयोग नहीं करूंगा। मैं उसे विवश नहीं करता। चूंकि प्रेरित अधिक समय तक घर पर नहीं रहते, वे कलीसिया में अधिक समय बिताते हैं, उन्हें सन्मार्ग पर लाया जाता है। प्रेरितों को, हर दो सम्मेलन में से, कम से कम एक में अवश्य भाग लेना चाहिए। अत: सहकर्मियों के सम्मेलन नियमित रूप से होने चाहिए (सह-कर्मियों के सम्मेलन में सभी प्रेरितों के सम्मेलन, कलीसिया के सभी अगुवाओं के सम्मेलन और स्पष्ट अंतर्दृष्टि वाले संतों के लिए सभी सम्मेलन शामिल हैं।) कम से कम आप लोगों में से कुछ को हर सम्मेलन में भाग लेना चाहिए, और प्रेरितों को केवल कलीसियाओं पर नज़र रखने पर ध्यान देना चाहिए। संतों से पहले जो अपेक्षाएं थीं, वे अब और गहन हो गई हैं। जब मेरे नाम की गवाही दी गई, उससे पूर्व जिन्होंने अपराध किया था, लेकिन जो मेरे प्रति समर्पित थे, उन्हें मैं जांचने के बाद फिर से उपयोग में लाऊंगा। हालांकि, जो मेरे साक्ष्य के बाद भी पुन: अपराध करते हैं और अपने आपको बदलने का निश्चय करते हैं, ऐसे लोग कलीसिया के अंदर ही रहेंगे। लेकिन फिर भी, वे लापरवाही और मौज-मस्ती में न रहें, बल्कि उन्हें दूसरों से अधिक संयम में रहना होगा। जहां तक उनका सवाल है जो मेरी वाणी सुनकर भी अपने आपको सुधारते नहीं हैं, उन्हें मेरा आत्मा तुरंत त्याग देगा, और कलीसिया को यह अधिकार होगा कि वह मेरे निर्णय का पालन करे, और उन्हें कलीसिया छोड़ देने के लिए कहे। यह निर्णय अंतिम है और उस पर विचार करने की कोई गुंजाइश नहीं है। मुझे जांचने से बचाने और उन्माद में शैतान को कलीसिया में प्रवेश की अनुमति देने के लिये, यदि कोई परीक्षण में नाकाम रहता है, यानी छोड़ देता है, तो किसी को उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए। यह उसके लिए मेरा निर्णय है। जो कोई भी अनैतिकता करता है और अपनी भावनाओं के आधार पर कृत्य करता है, मेरे जनों में नहीं गिना जाएगा, न कि मात्र वही जो छोड़कर चला गया है। प्रेरितों का एक अन्य काम है सुसमाचार के प्रसार पर ध्यान देना। हालांकि संत भी यह कार्य कर सकते हैं, लेकिन उन्हें यह बहुत समझदारी से करना होगा, और किसी भी तरह की परेशानी से दूर रहना होगा। उपर्युक्त बातें वर्तमान में अमल करने की हैं। याद रखिये, आपको अपने धर्मोपदेशों को और गहन बनाने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि सभी मेरे वचनों की सच्चाई में प्रवेश कर सकें। तुम सभी को मेरे वचनों का अनुसरण बड़ी बारीकी से करना चाहिए, ताकि लोग उन्हें सरलता और स्पष्टता से समझ सकें। यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। मेरे लोगों में जिनके विचार कपटपूर्ण उन्हें निकाल दिया जाना चाहिए, और अधिक समय तक मेरे घर में नहीं रहने देना चाहिए ताकि मेरे नाम को अपमानित न करें।
फरवरी 21, 1992
व्यवस्था का युग
अनुग्रह का युग
राज्य का युग
सर्वशक्तिमान परमेश्वर
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