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मंगलवार, 6 मार्च 2018

बयालीसवें कथन की व्याख्या


मुझे नहीं पता कि लोगों ने आज के कथन में कोई बदलाव देखा है या नहीं। कुछ लोगों ने थोड़ा-सा देखा होगा, लेकिन वे निश्चित रूप से कहने की हिम्मत नहीं रखते हैं। शायद दूसरों ने कुछ भी नहीं देखा है। माह के बारहवें और पंद्रहवें दिन के बीच इतना बड़ा अंतर क्यों होता है? क्या तुम लोगों ने इस पर विचार किया है? तुम लोगों की इसके बारे में क्या राय है? क्या तुमने परमेश्वर के सभी वचनों से कुछ भी समझा है? अप्रैल के दूसरे और मई के पंद्रहवें दिन के बीच मुख्य कार्य क्या किया गया था? आज लोगों को कोई ख़बर क्यों नहीं है, वे इतने बहके हुए क्यों हैं मानो उनके सिर पर किसी ने डंडे से वार कर दिया हो? आज, "राज्य के लोगों के घोटाले" जैसे लेख क्यों नहीं हैं? अप्रैल के दूसरे और चौथे दिन, परमेश्वर ने मनुष्य की स्थिति नहीं बताई; इसी तरह, आज के बाद कई दिनों तक उसने लोगों की स्थिति की ओर इशारा नहीं किया—ऐसा क्यों है? यह निश्चित रूप से एक पहेली है—180 डिग्री तक यह घुमाव क्यों हुआ? चलो सबसे पहले बात करते हैं कि परमेश्वर ने ऐसा क्यों कहा। आओ हम परमेश्वर के सबसे पहले वचनों पर नज़र डालते हैं, जिसमें वह यह कहने में कोई समय बर्बाद नहीं करता "जैसे ही नया काम शुरू होता है।" यह वाक्य आपको पहला संकेत देता है कि परमेश्वर का कार्य एक नई शुरुआत में प्रवेश कर चुका है, कि उसने एक बार फिर नया काम शुरू किया है। इससे पता चलता है कि ताड़ना का अंत करीब है; यह कहा जा सकता है कि ताड़ना के शिखर में प्रवेश किया जा चुका है, और इसलिए लोगों को चाहिए कि वह अपना अधिक से अधिक समय लगाकर ताड़ना के इस युग के कार्य को पूरा करें, ताकि वे पीछे न रह जाएं, या अपना संतुलन न खो दें। यह सारा मनुष्य का कार्य है, और इसके लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य सहयोग करने की पूरी कोशिश करे, और जब ताड़ना पूरी तरह से दूर कर दी जाए, तो परमेश्वर अपने कार्य के अगले हिस्से पर चलना शुरू दे, "…मैंने अपने कार्य को मनुष्य के बीच करना जारी रखा है… इस समय, मेरा दिल बहुत प्रसन्नता से भर गया है, क्योंकि कुछ लोगों को प्राप्त कर लिया है, और इसलिए मेरा "व्यवसाय" अब मंदी में नहीं है, यह अब खोखला वचन नहीं हैं।" अतीत में, लोगों ने परमेश्वर की आवश्यक इच्छा को उसके वचनों में देखा—इसमें कोई झूठ नहीं है—और आज परमेश्वर अधिक गति के साथ अपना कार्य कर रहा है। मनुष्य के लिए, यह पूरी तरह से परमेश्वर की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं है—परन्तु परमेश्वर के लिए, उसका काम पहले ही समाप्त हो चुका है। क्योंकि लोगों की सोच बहुत जटिल होती है, इसलिए चीज़ों के प्रति उनका दृष्टिकोण भी अक्सर कुछ ज़्यादा ही जटिल होता है। क्योंकि लोगों की लोगों से कुछ ज़्यादा ही अपेक्षाएं होती हैं, परंतु परमेश्वर मनुष्य से बहुत बड़ी अपेक्षाएं नहीं करता है, यह दर्शाता है कि परमेश्वर और मनुष्य के बीच की विसंगति कितनी बड़ी है। लोगों की धारणाएं उन सभी कार्यों में खुलकर दिखती हैं जो परमेश्वर करता है। ऐसा नहीं है कि परमेश्वर लोगों से बड़ी अपेक्षाएं करता है और लोग उन्हें प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं, बल्कि लोग परमेश्वर से बड़ी अपेक्षाएं करते हैं और परमेश्वर उन्हें प्राप्त करने में असमर्थ होता है। क्योंकि कई हज़ार वर्षों से शैतान द्वारा दूषित मानवजाति में, उपचार के बाद, रोग के लक्षण रह जाते हैं, इसलिए लोगों ने हमेशा परमेश्वर से ऐसी "बड़ी" मांगें की हैं, और वे बिल्कुल भी उदार नहीं होते, और इस बात से बेहद भयभीत रहते हैं कि परमेश्वर प्रसन्न नहीं है। इसलिए, कई चीज़ों में, जब लोग कार्य के लिए योग्य नहीं होते, तो वे आत्म-ताड़ना सहते हैं, और स्वयं के कार्यों के परिणामों का असर भोगते हैं, और यह केवल पीड़ा होती है। लोगों द्वारा भोगी गई कठिनाइयों में से 99% से अधिक को परमेश्वर तिरस्कृत कर देता है। इसे स्पष्ट रूप से कहा जाए तो, किसी ने भी वास्तव में परमेश्वर के लिए पीड़ा नहीं उठाई है। वे सभी स्वयं के कार्यों के परिणाम भोग रहे हैं—और ताड़ना का यह चरण कोई अपवाद नहीं है, यह एक ऐसा कड़वा प्याला है जिसे मनुष्य स्वयं तैयार करता है और स्वयं उसे पीने के लिए उठाता है। क्योंकि परमेश्वर ने अपनी ताड़ना के मूल उद्देश्य को प्रकट नहीं किया है, हालांकि लोगों का एक हिस्सा है जो शापित है, यह ताड़ना का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। लोगों का एक हिस्सा आशीषित है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वे भविष्य में आशीषित रहेंगे। लोगों को ऐसा लगता है कि परमेश्वर एक ऐसा परमेश्वर है जो अपने वचनों को पूरा नहीं करता। घबराओ नहीं। शायद ये कुछ ज़्यादा ही हो गया, लेकिन नकारात्मक न हो; मैं जो कहता हूं उसका संबंध कुछ हद तक मनुष्य के दुख से है, फिर भी मुझे लगता है कि तुम्हें परमेश्वर के साथ अच्छे संबंध बनाने चाहिए। तुम्हें चाहिए कि तुम उसे अधिक "उपहार" दो, जो निश्चित रूप से उसे प्रसन्न कर देगा। मुझे विश्वास है कि वे लोग परमेश्वर के प्रिय होते हैं जो उसे "उपहार" देते हैं। तुम क्या कहते हो, क्या ये वचन सही हैं?
अब तक, तुम लोगों ने अपनी कितनी संभावनाओं को अलग रखा है? परमेश्वर का कार्य जल्द ही पूरा होगा—तो शायद तुम लोगों ने लगभग अपनी सभी संभावनाओं को अलग रख दिया होगा, क्यों? तुम लोग स्वयं भी अपनी जाँच कर सकते हो: तुम लोगों को हमेशा ऊँचाई पर खड़े रहना, अपनी स्वयं की तूती बजाना और दूसरों के सामने दिखावा करना पसंद है—यह क्या है? मुझे आज तक नहीं पता है कि लोगों की संभावनाएं क्या हैं। अगर लोग वास्तव में दुख के समुद्र से घिरे रहते हैं, कठिनाइयों के परिष्करण के दौरान जीवित रहते हैं, या फिर यातना के विभिन्न औज़ारों के ख़तरे के अंतर्गत रहते हैं, या सभी लोगों द्वारा अस्वीकृति के समय में रहते हैं और आकाश की ओर देखते हुए गहरी आहें भरते हैं, तो शायद अपनी सोच में, ऐसे समय पर वे अपनी संभावनाओं को अलग रख देते हैं। इसका कारण यह है कि लोग निराशा के बीच आदर्शलोक की खोज करते हैं, और आरामदायक परिस्थितियों में किसी ने भी कभी भी एक सुंदर सपने की अपनी खोज का त्याग नहीं किया है। यह अवास्तविक हो सकता है, लेकिन मैं जानता हूं कि लोगों के दिल में यह नहीं है। क्या तुम लोग चाहते हो कि सशरीर स्वर्गारोहण करो? क्या तुम अभी भी देह में अपना स्वरूप बदलना चाहते हो? मुझे नहीं पता कि तुम लोगों की राय भी वही है या नहीं, परंतु मुझे हमेशा यह महसूस हुआ है कि यह अवास्तविक है—ऐसे विचार बहुत अनावश्यक लगते हैं। लोग इस तरह बातें करते हैं: अपनी संभावनाओं को अलग रखो, अधिक यथार्थवादी बनो। तुम कहते हो कि लोग आशीषित होने के विचारों को दूर कर दें—परंतु तुम्हारा क्या? क्या तुम लोगों के आशीषित होने के विचारों को नकारते हो और स्वयं आशीष पाने की कामना करते हो? तुम नहीं चाहते कि दूसरें आशीष पाएं, परंतु तुम स्वयं चुपके-चुपके उसके बारे में सोचते रहते हो—यह तुम्हें क्या बनाता है? एक धोखेबाज़! जब तुम इस तरह व्यवहार करते हो, तो क्या तुम्हारा अंतःकरण अभियुक्त नहीं बन जाता है? अपने दिल में, क्या तुम ऋणी महसूस नहीं करते हो? क्या तुम एक धोखेबाज़ नहीं हो? तुम दूसरों के दिलों के वचनों को खोदकर निकालते हो, परंतु स्वयं के दिल में उपस्थित वचनों के बारे में कुछ नहीं कहते हो—तुम कचरे के बेकार टुकड़ों की तरह हो! मैं सोचता हूँ कि जब तुम लोग बोलते हो, तो अपने दिलों में क्या सोचते हो—क्या तुम लोगों को पवित्र आत्मा तिरस्कृत नहीं कर सकता? क्या यह तुम लोगों की गरिमा को अस्थिर नहीं करता? तुम लोग वास्तव में नहीं जानते कि तुम लोगों के लिए क्या अच्छा है! लगता है कि तुम सभी श्री नांगुओ की तरह हो—तुम लोग ढोंगी हो। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि परमेश्वर ने "वे सब ‘स्वयं को समर्पित’ करने के लिए तैयार हैं" में "स्वयं को समर्पित" उद्धरणों के बीच रखा है। परमेश्वर मनुष्य बहुत अच्छी तरह जानता है, और मनुष्य की धोखेबाज़ी कितनी भी भ्रामक क्यों न हो—भले ही वह कुछ भी प्रकट न करें, उसका चेहरा लाल न हो, उसका दिल तेज़ी से न धड़के—परमेश्वर की आंखें उज्ज्वल हैं, इसलिए मनुष्य को हमेशा परमेश्वर की नज़र से बचने में परेशानी हुई है। ऐसा लगता है कि परमेश्वर के पास एक्स-रे दृष्टि है और वह मनुष्य के आंतरिक अंग देख सकता है, मानो वह बिना किसी जाँच के देख सकता है कि लोगों के रक्त का प्रकार क्या है। ऐसा है परमेश्वर का ज्ञान, और मनुष्य द्वारा इसका अनुकरण नहीं किया जा सकता। परमेश्वर कहता है, "मैंने इतना काम क्यों किया है, फिर भी लोगों में इसका कोई सबूत नहीं है? क्या मैंने पर्याप्त प्रयास नहीं किया है?" परमेश्वर के साथ मनुष्य का सहयोग बहुत कम है, और यह कहा जा सकता है कि मनुष्य के भीतर बहुत कुछ है जो नकारात्मक है, और शायद ही कभी लोगों में कोई सकारात्मकता होती हो, केवल कभी-कभी थोड़ी-बहुतरहती है, लेकिन वह भी बहुत दूषित होती है। यह दिखाता है कि लोग परमेश्वर से कितना प्यार करते हैं; ऐसा लगता है कि उनके दिल में परमेश्वर के लिए केवल प्रेम का दस लाखवां हिस्सा होताहै, जिसमें से 50% फिर भी दूषित होता है, यही वजह है कि परमेश्वर कहता है कि उसे मनुष्य में कोई सबूत नहीं दिखता है। यह वास्तव में मनुष्य की अवज्ञा के कारण है कि परमेश्वर का वचन बहुत ही बेरहम और निष्ठुर होता है। हालांकि, परमेश्वर मनुष्य के साथ बिताए गए समय के बारे में बात नहीं करता है, परंतु लोग हमेशा याद करना चाहते हैं, ताकि वे स्वयं को परमेश्वर के सामने दिखा सकें, और वे हमेशा गुज़रे समय की बात ही करना चाहते हैं—फिर भी परमेश्वर ने कभी भी मनुष्य के आज को उसके कल की तरह नहीं लिया है; बल्कि, वह आज को लेकर आज के लोगों के पास पहुंचता है। यह परमेश्वर का रवैया है, और इस में, परमेश्वर ने इन वचनों को स्पष्ट रूप से कहा है, ताकि लोग भविष्य में यह न कहें कि परमेश्वर बहुत अनुचित है, क्योंकि परमेश्वर अविवेकपूर्ण काम नहीं करता, बल्कि तथ्यों के वास्तविक चेहरे के बारे में लोगों को बताता है, ताकि ऐसा न हो कि लोग दृढ़ता से खड़े न हो सकें—क्योंकि मनुष्य, आख़िरकार, कमज़ोर है। ये वचन सुनकर, तुम लोगों का इस बारे में क्या कहना है: क्या तुम लोग सुनने और झुकने के लिए, और इसके बारे में अब न सोचने के लिए तैयार हो?
उपरोक्त विषय से अलग है, यह मायने नहीं रखता कि इसके बारे में बात की जाती है या नहीं। मुझे आशा है कि तुम लोग इसे अपवाद की तरह नहीं लोगे, क्योंकि परमेश्वर वचनों का यह काम करता है, और वह हर विषय के बारे में बात करना पसंद करता है। लेकिन मुझे आशा है कि तुम लोग तब भी उन्हें पढ़ोगे और इन वचनों को अनदेखा नहीं करेगो, ठीक है? क्या तुम लोग ऐसा करोगे? यह अभी कहा गया था कि आज के वचनों में परमेश्वर ने नई जानकारी प्रकट की है: जिस पद्धति से परमेश्वर कार्य करता है वह बदलने वाली है। बेहतर होगा कि इस लोकप्रिय विषय पर ध्यान केंद्रित किया जाए। यह कहा जा सकता है कि आज के सभी वचन भावी मामलों की भविष्यवाणी करते हैं, इनके माध्यम से परमेश्वर अपने कार्य के अगले चरणों की तैयारी कर रहा है। परमेश्वर ने कलीसिया के लोगों में अपना काम काफ़ी हद तक पूरा कर दिया है, जिसके बाद वह सभी लोगों के सामने प्रकट होने के लिए क्रोध का उपयोग करेगा। जैसा कि परमेश्वर कहता है, "मैं धरती के लोगों से अपने कार्यों को स्वीकार करवाऊंगा, और "न्यायपीठ" के सामने मेरे कर्म साबित होंगे, ताकि उन्हें पृथ्वी के लोगों के बीच स्वीकार किया जाए, जो स्वीकार करेंगे।" क्या तुम लोगों ने इन वचनों में कुछ देखा? इसमें परमेश्वर के कार्य के अगले हिस्से का सारांश है। सबसे पहले, परमेश्वर उन सभी राजनीतिक शक्ति वाले संरक्षक कुत्तों को तहेदिल से विश्वास दिलवाएगा कि वे इतिहास के मंच से स्वयं पीछे हट जाएं, और फिर कभी प्रतिष्ठा के लिए लड़ाई न करें या योजनाएं न बनाएं और षड्यंत्र न करें। यह कार्य परमेश्वर द्वारा पृथ्वी पर विभिन्न आपदाओं को प्रकट करके किया जाना होगा। परन्तु परमेश्वर प्रकट नहीं होगा; क्योंकि, इस समय, बड़े लाल अजगर का राष्ट्र अभी भी मैली भूमि होगा, परमेश्वर प्रकट नहीं होगा, परंतु केवल ताड़ना के रूप में उभरकर आएगा। परमेश्वर का धर्मी स्वभाव ऐसा है, और कोई इससे बच नहीं सकता। इस दौरान, बड़े लाल अजगर के देश में बसा हर व्यक्ति विपत्तियों का सामना करेगा, जिसमें स्वाभाविक रूप से पृथ्वी पर राज्य (कलीसिया) भी शामिल है। यह वही समय है जब तथ्य सामने आएंगे, और इसलिए यह सभी लोगों द्वारा अनुभव किया जाएगा, और कोई भी इससे बच नहीं पाएगा। यह परमेश्वर द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया है। कार्य के इसी चरण के कारण परमेश्वर कहता है, "यही समय है अपनी प्रतिभाओं को सबसे अधिक काम में लाने का।" क्योंकि भविष्य में, पृथ्वी पर कोई भी कलीसिया नहीं होगा, और आपदा के आगमन के कारण, लोग किसी दूसरी चीज़ के बारे में सोच नहीं पाएंगे, और तबाही के बीच परमेश्वर का आनंद लेना उनके लिए मुश्किल है, इसलिए, लोगों से इस अद्भुत समय के दौरान अपने पूरे दिल से परमेश्वर से प्रेम करने के लिए कहा जाता है, ताकि वे इस अवसर को गँवा न बैठें। जब यह तथ्य गुज़र जाएगा, तो परमेश्वर ने बड़े लाल अजगर को पूरी तरह हरा दिया होगा, और इस प्रकार परमेश्वर के लोगों की गवाही का कार्य समाप्त हो गया है; इसके बाद परमेश्वर कार्य के अगले चरण की शुरुआत करेगा, बड़े लाल अजगर के देश को तबाह कर देगा, और अंततः ब्रह्मांड के सभी लोगों को क्रूस पर उल्टा लटका देगा, जिसके बाद वह पूरी मानवजाति को नष्ट कर देगा—ये परमेश्वर के कार्य के भविष्य के चरण हैं। इसलिए, तुम लोगों को इस शांतिपूर्ण वातावरण में परमेश्वर से प्रेम करने का प्रयास करना चाहिए। भविष्य में तुम लोगों के पास परमेश्वर से प्रेम करने के लिए अवसर नहीं होगा, क्योंकि लोगों के पास केवल देह में परमेश्वर से प्रेम करने का अवसर होता है; जब वे किसी दूसरे संसार में रहते हैं, तो कोई भी परमेश्वर से प्रेम करने की बात नहीं करेगा। क्या यह एक सृजित प्राणी की ज़िम्मेदारी नहीं है? और इसलिए तुम लोगों को अपने जीते जी परमेश्वर से कैसे प्रेम करना चाहिए? क्या तुमने कभी इस बारे में सोचा है? क्या तुम परमेश्वर से प्रेम करने के लिए मरने तक इंतज़ार कर रहे हो? क्या यह खाली बातें नहीं हैं? आज, तुम परमेश्वर से प्रेम करने का प्रयास क्यों नहीं करते? क्या व्यस्तता के समय परमेश्वर से प्रेम करना परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम हो सकता है? ऐसा इसलिए कहा जाता है कि परमेश्वर के कार्य का यह चरण जल्द ही समाप्त हो जाएगा क्योंकि परमेश्वर के पास पहले ही शैतान के सामने गवाही है; इसलिए, मनुष्य को कुछ भी करने की कोई आवश्यकता नहीं है, मनुष्य को केवल उन वर्षों में परमेश्वर से प्रेम करने के लिए कहा जा रहा है जब वह जीवित रहता है—यह बात प्रमुख है। क्योंकि परमेश्वर की आवश्यकताएं बहुत बड़ी नहीं हैं, और इसके अलावा, क्योंकि उसके दिल में बहुत बेचैनी है, उसने कार्य के इस चरण के समाप्त होने से पहले ही कार्य के अगले चरण का सारांश प्रकट कर दिया है, जो स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कितना समय बचा है; यदि परमेश्वर के दिल में चिंता नहीं होती, तो क्या वह ये वचन इतनी जल्दी कह पाता? क्योंकि समय कम है इसलिए परमेश्वर इस प्रकार कार्य करता है। ऐसी आशा है कि तुम लोग अपने पूरे दिल से, अपने पूरे मस्तिष्क से, और अपनी पूरी शक्ति से परमेश्वर से प्रेम कर पाओगे, मानो तुम लोग अपने जीवन की रक्षा कर रहे हो। क्या यह सार्थक जीवन नहीं है? तुम लोगों को जीवन का अर्थ और कहां मिल सकता है? क्या यह अंधापन नहीं होगा? क्या तुम परमेश्वर से प्रेम करने को तैयार हो? क्या परमेश्वर मनुष्य के प्रेम के योग्य है? क्या लोग मनुष्य की आराधना के योग्य हैं? तो तुम्हें क्या करना चाहिए? बिना किसी भय के परमेश्वर से निस्संकोच प्रेम करो, और देखो कि परमेश्वर तुम्हारे साथ क्या करेगा। देखो कि क्या वह तुम्हें मार डालता है। संक्षेप में कहा जाए तो परमेश्वर को प्रेम करने का कार्य परमेश्वर के लिए नकल करने और लिखने के कार्य से अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें उस बात को पहला स्थान देना चाहिए जो सबसे महत्वपूर्ण है, ताकि तुम्हारे जीवन अधिक सार्थक और अधिक ख़ुशियों से भरा हो, और फिर तुम्हें अपने लिए परमेश्वर के "दंडादेश" की प्रतीक्षा करनी चाहिए। मैं सोचता हूँ कि क्या तुम्हारी योजना में परमेश्वर से प्रेम करना शामिल होगा—मैं चाहता हूं कि सभी की योजना परमेश्वर द्वारा पूरी की जाए और वास्तविकता बन जाए।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर चमकती पूर्वी बिजली  सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

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